मोटापा दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। पिछले दशकों में, ऐसे बहुत से शोध हुए हैं जिनके माध्यम से मोटापे के कारणों को जानने की कोशिश की गई है, इसके अलावा वजन को रोकने के उपाय व इलाज पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। जिन लोगों का वजन सामान्य है, उनकी तुलना में मेटाबॉलिक सिंड्रोम से ग्रस्त लोगों को हृदय रोगस्ट्रोक और टाइप 2 डायबिटीज का अधिक खतरा होता है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि क्या बीमारियां हमारे वजन को प्रभावित करती हैं और क्या इनकी वजह से हमारा वजन बढ़ सकता है। 

हाइपोथायरायडिज्म

इस बीमारी में गर्दन में स्थित थायराइड ग्रंथि थायराइड हार्मोन बहुत कम पैदा करने लगती है। यह हार्मोन हमारे चयापचय (शरीर में भोजन का एनर्जी में बदलना ही चयापचय कहलाता है) को नियंत्रित करता है और जब शरीर में थायराइड हार्मोन कम बनने लगता है तब चयापचय (मेटाबोलिज्म) धीमा पड़ जाता है और यही अक्सर वजन बढ़ने का कारण बनता है। अगर हाइपोथायराइड की वजह से मोटापा बढ़ रहा है तो डॉक्टर थायराइड हार्मोन के स्तर की जांच करने के लिए रक्त परीक्षण करवाने के लिए कह सकते हैं।

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कुशिंग सिंड्रोम

कुशिंग सिंड्रोम के मामले काफी दुर्लभ होते हैं। यह एक जटिल हार्मोनल स्थिति होती है, जिसका प्रभाव लगभग पूरे शरीर पर पड़ता है। यह एक गंभीर विकार है और यह स्थिति तब होती है जब एड्रेनालाईन ग्लैंड (प्रत्येक किडनी के ऊपर स्थित) कोर्टिसोल नामक एक स्टेरॉयड हार्मोन का अधिक मात्रा में उत्पादन करने लगता है। इससे चेहरे, कमर के ऊपरी हिस्से और पेट जैसी विशिष्ट जगहों पर फैट बढ़ने लगता है। इसके सबसे सामान्य लक्षणों में वजन बढ़ना (मोटापा), त्वचा पर निशान या नीले निशान पड़ना, हाई बीपी, ऑस्टियोपोरोसिस, शुगर, कमजोरी और महिलाओं में मासिक धर्म में रुकावट शामिल हैं।

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डिप्रेशन

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार अवसाद सबसे सामान्य बीमारी है और दुनियाभर में लगभग 35 करोड़ लोग अवसाद से प्रभावित होते हैं। यह मोटापे का प्रमुख कारण है। 2009 में बर्मिंघम में अलबामा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, खुश रहने वाले लोगों की तुलना में उदास रहने वाले लोग तेजी से मोटे होते हैं। डिप्रेशन से ग्रस्त लोगों के पेट पर अतिरिक्त चर्बी थी जो कि टाइप 2 डायबिटीज, हृदय रोग और हाई बीपी के जोखिम को बढ़ाती है।

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पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस)

पीसीओएस महिलाओं में होने वाली एक आम हार्मोनल समस्या है। इसमें हार्मोंस असंतुलित होने लगते हैं, जिससे मासिक चक्र प्रभावित होता है और शरीर पर अनचाहे बाल व मुंहासे आने लगते हैं। इस स्थिति से ग्रस्त महिलाओं में इंसुलिन (ब्लड शुगर को नियंत्रित करने वाला हार्मोन) के निर्माण में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे वजन बढ़ सकता है। इसमें महिलाओं के शरीर का कोई एक हिस्सा नहीं बल्कि फैट पूरे शरीर पर इकट्ठा हो जाता है, जिससे इन महिलाओं में हृदय रोग होने के जोखिम भी बढ़ जाते हैं।

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उपरोक्त कारणों के अलावा मस्तिष्क से संबंधित कुछ निश्चित स्थितियां और अन्य बीमारियां भी हैं जो बढ़ते वजन का कारण हो सकती हैं। इनके अलावा कुछ दवाएं-विशेष रूप से स्टेरॉयड और कुछ डिप्रेशन, मानसिक विकार और हाई बीपी की दवाएं भी वजन में वृद्धि का कारण बन सकती हैं। लेकिन तब भी डॉक्टर ही आपकी स्थिति की अच्छी तरह से जांच कर के आपको यह बता सकते हैं कि इनमें से किस स्थिति के कारण आपका वजन बढ़ रहा है।

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