भारत में कोरोना वायरस की जांच को लेकर एक और आरटी-पीसीआर टेस्ट किट विकसित की गई है जो कम समय में सटीक नतीजे देगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रिलायंस लाइफ साइंसेज ने यह टेस्ट किट बनाई है। कंपनी का दावा है कि अब जांच के परिणाम के लिए कई घंटों तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा और रिलायंस द्वारा बनाई गई यह आरटी-पीसीआर किट महज 2 घंटे में कोविड-19 संक्रमण से जुड़े जांच के परिणाम देगी।

दरअसल मौजूदा समय में सार्स-सीओवी-2 वायरस के न्यूक्लिक एसिड के गुणात्मक अनुसंधान के लिए रियल-टाइम रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन-पॉलीर्मस चेन रिऐक्शन टेस्ट (आरआरटी-पीसीआर) किया जाता है। इस टेस्ट के जरिए वायरस के डायग्नोसिस में 24 घंटे का समय लगता है। लेकिन रिलायंस कंपनी द्वारा बनाई गई आरटी-पीसीआर किट से केवल 2 घंटो में जांच के परिणाम मिल सकेंगे।

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100 से अधिक जीनोम के विश्लेषण के बाद बनाई टेस्ट किट
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रिलायंस लाइफ साइंसेज, उद्योगपति मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज की सहायक कंपनी है। रिलायंस लाइफ साइंसेज के कम्प्यूटेशनल बायोलॉजिस्ट्स ने भारत में सार्स-सीओवी-2 वायरस के 100 से अधिक जीनोम का विश्लेषण किया। इसके बाद एक यूनिक आरटी-पीसीआर प्राइमर को विकसित किया। यह रियल टाइम पीसीआर (आरटी-पीसीआर) किट कोविड-19 संक्रमण का पता लगाने में मदद करेगी। गौरतलब है कि आरटी-पीसीआर किट को कोविड-19 परीक्षण के लिए अब तक सबसे गुणकारी डायग्नोसिस किट माना गया है।

आईसीएमआर ने टेस्ट किट को दी मंजूरी
रिपोर्ट के अनुसार रिलायंस लाइफ साइंसेज में वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई आरटी-पीसीआर टेस्ट किट को आर-ग्रीन किट (सार्स-सीओवी-2 रियल टाइम पीसीआर) नाम दिया गया है। महत्वपूर्ण बात यह है कि किट के संतोषजनक प्रदर्शन के बाद भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद आईसीएमआर ने भी किट को तकनीकी रूप से मंजूरी दे दी है।

हालांकि आईसीएमआर की मान्यता प्रक्रिया, किट के डिजाइन को स्वीकृत या अस्वीकृत नहीं करती और साथ ही यह किट इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति के लिए सुगम (यूजर फ्रेंडली) है या नहीं इसे भी प्रमाणित नहीं करती। बताया जा रहा है कि आंतरिक नियंत्रण के रूप में ऐक्टिन के साथ यह किट सार्स-सीओवी-2 वायरस के ई-जीन, आर-जीन, आरडीआरपी जीन की मौजूदगी का पता लगा सकती है। आईसीएमआर के परिणामों के अनुसार, यह किट 98.7 प्रतिशत संवेदनशीलता और 98.8 प्रतिशत विशेषज्ञता के साथ बेहतर नतीजे देती है, जो कि मानक जांच के हिसाब से अच्छा प्रदर्शन है।

इस किट को रिलायंस में काम करने वाले अनुसंधान एवं विकास वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया है। आर-ग्रीन टेस्ट किट पूरी तरह से स्वदेशी है। इस किट का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसे आसानी से इस्तेमाल किया सकता है। साथ ही ये भारत में आसानी से उपलब्ध होने वाले सरल अभिकर्मकों और प्राइमरों का उपयोग करती है।

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टाटा ग्रुप ने लॉन्च की थी फेलुदा टेस्ट किट
गौरतलब है कि अभी हाल ही में ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने टाटा समूह द्वारा विकसित किए गए कम लागत वाले क्रिस्प्र (क्लस्टर्ड रेग्युलर्ली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिनड्रोमिक रिपीट्स) कोविड-19 टेस्ट को व्यावसायिक रूप से लॉन्च करने की अनुमति दे दी थी। यह कोविड-19 बीमारी की जांच के लिए भारत में तैयार किया गया एक पेपर स्ट्रिप आधारित टेस्ट है, जिसका नाम भारत के महान फिल्ममेकर सत्यजित राय द्वारा रचित जासूसी किरदार 'फेलूदा' के नाम पर रखा गया है। इसे बनाने वालों का दावा है कि बहुत सस्ती लागत में तैयार हुआ यह टेस्ट केवल 1 घंटे के अंदर परिणाम देकर बता सकता है कि किसी व्यक्ति के शरीर में कोरोना वायरस है या नहीं।

साल के अंत तक कम हो सकती है मृत्यु दर- रिसर्च
इस टेस्ट किट को तैयार करने के अलावा रिलायंस लाइफ साइंसेज की ओर से एक अध्ययन भी किया गया है जिसमें शोधकर्ताओं ने पाया कि साल 2020 के अंत तक कोविड19 महामारी से जुड़ी मृत्यु दर कम हो सकती है। इस रिसर्च के लिए शोधकर्ताओं ने 49 देशों के आंकड़ों की स्टडी की। इस दौरान इन देशों के सार्स-सीओवी-2 वायरस के 7 हजार से अधिक जीनोम क्रम के संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक प्रोटीन के म्यूटेशन घटनाओं का अध्ययन किया।

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स्वास्थ्य से जुड़ी पत्रिका “साइंटिफिक जर्नल ऑफ बायोलॉजी” में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, सांख्यिकीय विश्लेषण के जरिए शोधकर्ताओं ने मृत्यु दर के साथ दो प्रोटीन (NSP6 और सरफेस ग्लाइकोप्रोटीन S) के म्यूटेशन के बीच एक विपरीत सहसंबंध पाया। शोधकर्ताओं ने संभावना जताई कि इन दो प्रोटीनों का म्यूटेशन लगातार बढ़ेगा और क्लस्टर-1 देश जैसे भारत और बांग्लादेश में 2020 के अंत तक मृत्यु दर 0.5% से नीचे आ जाएगी।

अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि क्लस्टर-2 देश जैसे कि अमेरिका की तुलना में क्लस्टर-1 और क्लस्टर-3 देशों में (ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड) एनएसपी 6 और एस प्रोटीन की म्यूटेशन दर कम है। इससे यह पता चलता है कि क्लस्टर-2 देश में कोविड-19 महामारी की मृत्यु दर क्लस्टर-1 और क्लस्टर 3 देशों की तुलना में साल के अंत में कम हो सकती है।

इसके अलावा रिलायंस को आनुवंशिक रूप से संशोधित माइक्रोऐलगी (सूक्ष्म शैवाल) के लिए एक अमेरिकी पेटेंट भी मिला है, जो कोरोना वायरस मामलों की गंभीरता को कम करने के लिए जाना जाता है। गौरतलब है कि अमेरिकी ने यह पेटेंट बीते 8 सितंबर को जारी किया था।

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