एक्सट्रैक्टेबल न्यूक्लियर एंटीजन (ईएनए) एंटीबॉडीज पैनल क्या है?
ईएनए पैनल आपके रक्त में उन सभी ऑटोएंटीबॉडीज की मौजूदगी की पहचान करता है जो कि कोशिका के न्यूक्लियस में मौजूद छह प्रोटीन में से किसी एक के साथ भी प्रतिक्रिया के स्वरूप बनते हैं। इनमें राइबोन्यूक्लीप्रोटीन (आरएनपी), स्मिथ (एसएम), एसएसए, एसएसबी, एससीएल-70 और जो-1 आदि शामिल हैं। इन सभी प्रोटीन को एक साथ एक्सट्रैक्टेबल कहा जाता है, क्योंकि इन्हें सेलाइन (पानी और नमक का एक घोल) की मदद से न्यूक्लियस से अलग किया जा सकता है।
एंटीबॉडीज वे विशेष प्रोटीन होते हैं जो कि आपके इम्यून सिस्टम द्वारा हानिकारक सूक्ष्मजीवों और अन्य हानिकारक पदार्थों के विरोध के द्वारा बनाए जाते हैं। ऑटोइम्यून डिसऑर्डर में प्रतिरक्षा प्रणाली ठीक तरह से कार्य नहीं कर पाती है और शरीर के स्वस्थ ऊतकों को क्षति पहुंचाने वाले एंटीबॉडीज बनाने लगती है जिससे सूजन और ऊतकों की क्षति होने लगती है। इन एंटीबॉडीज को ऑटोएंटीबॉडीज कहा जाता है।
एक या अधिक ईएनए की मौजूदगी का मतलब है कि आपको ऑटोईम्यून विकार है।
ईएनए विकार में निम्न की जांच की जाती है -
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एंटी आरएनपी एंटीबॉडीज - ये एंटीबॉडीज राइनोन्यूक्लिप्रोटीन (आरएनपी) के प्रतिरोध में बनते हैं। राइनोन्यूक्लिप्रोटीन कि आरएनए व प्रोटीन के बीच का एक काम्प्लेक्स है। आरएनए एक मैसेंजर मॉलिक्यूल है जो कि डीएनए से जानकारी को न्यूक्लियस के बाहर पहुंचाता है। यह उन लोगों में देखा जाता है, जिन्हें सिस्टमिक एरीथेमाटोसस लुपस (एसएलई) प्रोग्रेसिव सिस्टमिक स्क्लेरोसिस और मिक्स्ड कनेक्टिव टिशू आदि रोग होते हैं। एंटी आरएनपी एंटीबॉडीज उन लोगों में पाए जाते हैं, जिन्हें सिर्फ मिक्सड कनेक्टिव टिशू जैसे रोग होते हैं और उनमें जिन्हें एसएलई के साथ एंटी एसएम एंटीबॉडीज भी मौजूद होते हैं।
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एंटी एसएम एंटीबॉडीज - यह एंटीबॉडी स्मिथ एंटीजन या एसएम प्रोटीन के विरोध में बनते हैं। यह लगभग उन्हीं लोगों में देखा जाता है, जिन्हें एसएलई होता है लेकिन जरूरी नहीं कि इस रोग से ग्रस्त हर व्यक्ति में यह पाया जाए। एंटी एसएम एंटीबॉडी 20 प्रतिशत तक लुपस से ग्रस्त लोगों में पाया जाता है और एक प्रतिशत स्वस्थ लोगों में पाया जाता है। चूंकि, यह बहुत ही कम मामलों में अन्य ऑटोइम्यून विकारों से ग्रस्त लोगों में पाया जाता है इसीलिए एंटी एसएम एंटीबॉडीज टेस्ट का प्रयोग एसएलई के परीक्षण की पुष्टि करने के लिए किया जाता है।
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एंटी एसएसए एंड एसएसबी एंटीबॉडीज - ये एंटीबॉडीज स्जोग्रेन सिंड्रोम नामक ऑटोइम्यून रोग का परीक्षण करने के लिए किया जाता है। यदि स्जोग्रेन रोग अकेले होता है तो इसे प्राइमरी स्जोग्रेन सिंड्रोम कहा जाता है और अगर यह अन्य किसी ऑटोइम्यून स्थिति के साथ होता है तो इसे सेकेंडरी स्जोग्रेन सिंड्रोम कहा जाता है। स्जोग्रेन सिंड्रोम को तब जांचा जा सकता है जब व्यक्ति के शरीर में एंटी-एसएसए और एंटी एसएसबी दोनों एंटीबॉडीज मौजूद हों। हालांकि, दोनों एंटीबॉडीज 50 प्रतिशत तक उन लोगों में पाए जाते हैं, जिन्हें प्राइमरी स्जोग्रेन सिंड्रोम होता है। ये एंटीबॉडीज कुछ दुर्लभ मामलों में ही सेकेंडरी स्जोग्रेन सिंड्रोम से ग्रस्त लोगों में पाए जाते हैं जब वे रूमेटाइड आर्थराइटिस से भी पीड़ित हों। यहां तक ही एंटी एसएसबी एंटीबॉडीज केवल उन्हीं लोगों में होते हैं, जिन्हें प्राइमरी स्जोग्रेन सिंड्रोम होता है। ऐसे में यह टेस्ट प्राइमरी और सेकेंडरी स्जोग्रेन सिंड्रोम में अंतर करने में भी मदद करता है। इसके साथ ही एंटी एसएसए एंटीबॉडीज 25 प्रतिशत तक एसएलई के मरीजों में पाया जाता है।
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एंटी-एससीएल-70 एंटीबॉडी - एससीएल - 70 को टोपोइसोमेराज-1 एंटीबॉडीज कहा जाता है, क्योंकि ये कोशिकाओं के अंदर मौजूद न्यूक्लियस में पाए जाने वाले एक एंजाइम टोपोइसोमेराज के खिलाफ बनते हैं। टोपोइसोमेराज डीएनए प्रतिकृति के लिए कार्य करता है। यह स्क्लेरोडर्मा के परीक्षण करने के लिए जांचे जाते हैं। इसे सिस्टमिक स्क्लेरोसिस भी कहा जाता है। प्रोग्रेसिव सिस्टमिक स्क्लेरोसिस शरीर के भिन्न भागों जैसे त्वचा, हृदय, फेफड़ों, किडनी और पाचन पथ को प्रभावित करता है। साथ ही यह सबसे अधिक महिलाओं को प्रभावित करता है। एंटी-एससीएल-70 एंटीबॉडी 15 से 20 प्रतिशत तक स्क्लेरोडर्मा के मरीजों में पाया जाता है।
- एंटी-जो-1 एंटीबॉडी - इन एंटीबॉडीज को एंटी हिस्टीडील ट्रांसफर सिंथेज एंटीबॉडीज के नाम से भी जाना जाता है। ये एंटी हिस्टीडील ट्रांसफर सिंथेज एंजाइम के प्रतिरोध में बनता है जो कि शरीर में प्रोटीन के बनने में भी मदद करते हैं। एंटी-जो-1 एंटीबॉडी उन लोगों में मौजूद होते हैं, जिन्हें ऑटोइम्यून पल्मोनरी फाइब्रोसिस होता है और कुछ मात्रा में ऑटोइम्यून मायोसाइटिस से ग्रस्त लोगों में भी पाया जाता है।