कम्पलीट हेमोग्राम टेस्ट क्या है?

कम्पलीट हेमोग्राम में विभिन्न टेस्ट जैसे कम्पलीट ब्लड काउंट (सीबीसी), एरिथ्रोसाइट सेडीमेंटेशन रेट (ईएसआर) और पेरीफेरल स्मीयर टेस्ट किए जाते हैं। इन सभी टेस्टों के बारे में नीचे जानकारी दी गई है -

  • सीबीसी -  कम्पलीट ब्लड काउंट टेस्टों का एक समूह है, जिसमें आपके रक्त में मौजूद भिन्न कोशिकाओं के प्रकार और मात्रा का पता लगाया जाता है। सीबीसी में निम्न टेस्ट शामिल होते हैं -

    • आरबीसी काउंट - आरबीसी रक्त में ऑक्सीजन लेकर जाते हैं। ये शरीर के अलग-अलग अंगों से वापस फेफड़ों तक कार्बन डाइऑक्साइड भी ले जाने का काम करते हैं। यदि आपके आरबीसी की संख्या अधिक है (पॉलिसिथिमिया) तो वे गांठ की तरह जुड़कर रक्त वाहिकाओं को ब्लॉक कर सकती हैं। ये क्लंप या गांठें आरबीसी के प्रवाह में भी बाधा डालेंगी, जिससे वे ऊतकों तक ऑक्सीजन ठीक तरह से नहीं पंहुचा पाएंगी। यदि आपके शरीर में आरबीसी की संख्या कम है, तो आपके शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाएगी।
    • डब्ल्यूबीसी (ल्यूकोसाइट) काउंट - डब्ल्यूबीसी लाल रक्त कोशिकाओं से बड़े होते हैं, लेकिन संख्या में कम होते हैं। ये शरीर को बैक्टीरिया, वायरस व अन्य सूक्ष्मजीवों से होने वाले संक्रमणों से रक्षा करने में मदद करते हैं। जब कोई व्यक्ति किसी संक्रमण से ग्रस्त होता है तो उसके शरीर में डब्ल्यूबीसी की संख्या तेजी से बढ़ती है। ऐसे में डब्ल्यूबीसी काउंट से यह जानने में मदद मिल सकती है कि आपको कोई संक्रमण है या नहीं। कैंसर के मरीजों में डब्ल्यूबीसी काउंट से यह पता लगाया जाता है कि मरीज का शरीर ट्रीटमेंट के प्रति किस तरह से प्रतिक्रिया दे रहा है।
    • डिफरेंशियल ल्यूकोसाइट काउंट (डब्ल्यूबीसी के  प्रकार) - यह टेस्ट डब्ल्यूबीसी के भिन्न प्रकारों की जांच करने के लिए किया जाता है। डब्ल्यूबीसी के भिन्न प्रकार हैं - मोनोसाइट्स, लिम्फोसाइट्स, इओसिनोफिल्स, बासोफिल्स और न्यूट्रोफिल्स। इसके साथ ही यह अपरिपक्व न्यूट्रोफिल्स (बेंड न्यूट्रोफिल्स) की उपस्थिति का भी पता लगाता है। प्रत्येक सफेद रक्त कोशिका का शरीर में एक भिन्न कार्य होता है। ऐसे में प्रत्येक डब्ल्यूबीसी की संख्या इम्यून सिस्टम के प्रत्येक कार्य के बारे में जानकारी देती है। डब्ल्यूबीसी के प्रत्येक प्रकार में कमी या अधिकता से एलर्जी, संक्रमण, स्थिति जैसे ल्यूकेमिया या रसायन और ड्रग्स के प्रति टॉक्सिक प्रतिक्रियाएं आदि के बारे में जानकारी लेने में मदद करता है।
    • हिमोग्लोबिन (एचजीबी) - हिमोग्लोबिन एक प्रोटीन है जो कि आरबीसी को उसका लाल रंग प्रदान करता है। यह एक प्रोटीन है जो कि ऑक्सीजन को बांधता है व इसका संचरण करता है। एचजीबी टेस्ट एक बहुत ही बढ़िया आकलन है यह पता लगाने के लिए कि शरीर के भिन्न भागों तक ऑक्सीजन की कितनी मात्रा पहुंचाई गई है।
    • हिमेटोक्रिट या पैक्ड सेल वॉल्यूम - हेमेटोक्रिट टेस्ट आपके रक्त में आरबीसी की मौजूद संख्या का प्रतिशत बताता है। उदाहरण के लिए यदि पैक्ड वॉल्यूम 40 है तो इसका मतलब है कि आपके रक्त में 40 प्रतिशत आरबीसी या लाल रक्त कोशिकाएं हैं। एचजीबी और एचसीटी एक साथ पॉलिसिथिमिया और एनिमिया के बारे में पता लगाते हैं।
    • प्लेटलेट (थ्रोम्बोसाइट) काउंट - प्लेटलेट्स सबसे छोटी रक्त कोशिकाएं होती हैं। किसी चोट के दौरान वे एक साथ जुड़ जाती हैं और रक्त के थक्के जमाने लगती हैं जिससे कि रक्तस्त्राव रुक जाता है। यदि आपके शरीर में प्लेटलेट की संख्या कम होगी तो आपका रक्त ठीक तरह से थक्के नहीं जमाएगा और आपको छोटी चोट लगने पर भी अधिक ब्लीडिंग होगी। अत्यधिक प्लेटलेट की संख्या हो जाने से जगह-जगह रक्त वाहिकाओं में थक्के जमने लगेंगे, जिससे रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाएगा।
    • मीन प्लेटलेट वॉल्यूम (एमपीवी) - यह टेस्ट आपके रक्त में प्लेटलेट की संख्या की औसत मात्रा का पता लगाता है। हालांकि, यदि आपका प्लेटलेट काउंट सामान्य भी है तो भी एमपीवी असामान्य हो सकता है। इसीलिए इस टेस्ट का प्रयोग रक्तस्त्राव संबंधी विकारों का पता लगाने के लिए किया जाता है।
    • आरबीसी इंडिसेस - आरबीसी इंडिसेस तीन तरह के होते हैं। इनमें मीन कर्पुसकुलर वॉल्यूम (एमसीवी), मीन कर्पुसकुलर हीमोग्लोबिन (एमसीवी) और मीन कर्पुसकुलर हीमोग्लोबिन कंसंट्रेशन (एमसीएचसी)। एमसीवी आरबीसी के आकार के बारे में बताता है, एमसीएच लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन की मात्रा के बारे में वहीं एमसीएचसी प्रत्येक आरबीसी में मौजूद एचजीबी की मात्रा के बारे में बताता है। इससे एनीमिया के प्रकार के बारे में पता लगाने में मदद मिलती है। रेड सेल डिस्ट्रीब्यूशन विड्थ (आरडीडब्ल्यू) से आरबीसी के आकार और आकृति का आकलन करने में मदद मिल सकती है, जिससे ये पता चलता है कि इनकी आकार और आकृति सही है या नहीं।
    • ईएसआर - यह एक ब्लड टेस्ट है जो यह पता लगाता है कि आरबीसी कितनी तेजी से ट्यूब की सतह पर जम जाती है या बैठ जाती है, जब उसमें एंटीकोएग्युलेंट (ऐसा रसायन जो रक्त के थक्के जमने से बचाता है) डाला जाता है। यदि आपके शरीर में सूजन है तो आरबीसी एक साथ जुड़ जाएंगे, जिससे उनका वजन बढ़ जाएगा और वे जल्दी ही स्थिर हो जाएंगे। ईएसआर तब अधिक होता है जब सेडीमेंटेशन रेट अधिक होता है और शरीर में मौजूद सक्रिय रोग के बारे में जानकारी दे सकता है।
    • पेरीफेरल ब्लड स्मीयर - यह एक ब्लड टेस्ट है जिसमें एक लैब वैज्ञानिक या डॉक्टर आरबीसी, डब्ल्यूबीसी और प्लेटलेट की संख्या और इनके आकार (मॉर्फोलॉजी) के  बारे में बताता है। स्मीयर टेस्ट आपके रक्त में परजीवियों की संख्या के बारे में पता लगाने के लिए भी किया जा सकता है।
  1. कम्पलीट हेमोग्राम टेस्ट क्यों किया जाता है - Why Complete Hemogram (Hmg) test is done in Hindi
  2. कम्पलीट हेमोग्राम टेस्ट से पहले - Before Complete Hemogram (Hmg) test in Hindi
  3. कम्पलीट हेमोग्राम टेस्ट के दौरान - During Complete Hemogram (Hmg) test in Hindi
  4. कम्पलीट हेमोग्राम टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है - What does Complete Hemogram (Hmg) test result mean in Hindi

डॉक्टर सीबीसी टेस्ट को करने की सलाह निम्न स्थितियों में दे सकते हैं -

सीबीसी निम्न स्थितियों की जांच कर सकता है -

रक्तस्त्राव के मामलों में यह टेस्ट इस बात को जानने के लिए किया जा सकता है कि इस दौरान आपके शरीर से कितने रक्त की क्षति हुई है।

सीबीसी टेस्ट किसी विशेष ड्रग के ट्रीटमेंट या रेडिएशन ट्रीटमेंट की प्रभावकारिता की जांच करने के लिए भी किया जा सकता है। इसके साथ ही यह टेस्ट सर्जरी से पहले या फिर सर्जरी के बाद भी किया जा सकता है ऐसा आरबीसी से जुड़ी समस्याएं जैसे एनीमिया और संक्रमण की जांच करने के लिए किया जाता है। यदि आपको कोई विशेष स्थिति है जैसे अस्थमा या फिर कोई एलर्जी है तो आपके इओसिनोफिल्स के स्तर अधिक होंगे।

सीबीसी आमतौर पर रूटीन शारीरिक चेक अप के समय भी करवाने को कहा जा सकता है।

ईएसआर टेस्ट उन स्थितियों की जांच करने के लिए किया जाता है, जिनके कारण ईएसआर का स्तर अत्यधिक हो सकता है। इनमें इंफ्लेमेटरी स्थितियां रूमेटाइड आर्थराइटिस आती हैं। हालांकि, यह टेस्ट किसी विशेष स्थिति या रोग का परीक्षण नहीं कर सकता है। यह केवल आपके शरीर में मौजूद किसी सक्रिय रोग या स्थिति के बारे में बताता है।

किसी सूजन संबंधी स्थिति के निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं -

ब्लड स्मीयर टेस्ट इन स्थितियों पर नजर रखने के लिए किया जा सकता है -

  • पीलिया (त्वचा और आंखों का पीला पड़ना)
  • हर समय थकान महसूस होना या फिर चक्कर आना
  • लगातार बुखार रहना या फिर बार-बार होना।
  • मलेरिया की आशंका
  • आरबीसी का कम स्तर

इसके साथ ही यह टेस्ट कुछ स्थितियों जैसे सिकल सेल एनीमिया के परीक्षण करने के लिए भी किया जा सकता है। सिकल सेल एनीमिया का जरूरी लक्षण है बार-बार छाती में तेज दर्द होना। ऐसा तब भी हो सकता है जब कीमोथेरेपी ठीक तरह से ना हुई हो।

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आपको इस टेस्ट के लिए किसी भी तरह की तैयारी करने की जरूरत नहीं है। हालांकि, जब आप टेस्ट करवाने के लिए जाएं तो एक आधी बांह की शर्ट या टी शर्ट पहन कर जाएं इससे ब्लड सैंपल लेने में डॉक्टर को आसानी होगी। यदि आप किसी भी तरह की दवा, विटामिन, हर्ब्स या सप्लीमेंट ले रहे हैं तो इसके बारे में डॉक्टर को बता दें। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ दवाएं टेस्ट के परिणाम को प्रभावित कर सकती हैं।

ब्लड स्मीयर टेस्ट के लिए जाने से पहले डॉक्टर से पूछ लें कि क्या आपको टेस्ट करवाने से पहले भूखे रहने की आवश्यकता है।

यदि आप धूम्रपान करते हैं या फिर हाल ही में आपने रक्तधान करवाया है तो इसके बारे में भी डॉक्टर से बात कर लें क्योंकि इनके कारण सीबीसी के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।

यदि आपको पीरियड्स हो रहे हैं, आपने वसा युक्त भोजन किया है या फिर आप गर्भवती हैं तो इसके बारे में डॉक्टर को बता दें। ये स्थितियां ईएसआर टेस्ट के परिणाम को प्रभावित कर सकती हैं। वृद्धावस्था और मोटापा भी ईएसआर को प्रभावित कर सकते हैं।

यह टेस्ट एक ब्लड सैंपल पर किया जाता है। डॉक्टर एक कीटाणुरहित सुई के प्रयोग से आपकी बांह की नस से ब्लड सैंपल ले लेंगे और इसे लेबल लगी हुई एक ट्यूब में डालकर लैब में टेस्टिंग के लिए भेज देंगे। ब्लड टेस्ट से कुछ छोटे खतरे जुड़े होते हैं जैसे -

  • रक्तस्त्राव, नील पड़ना या सुई लगी जगह पर संक्रमण
  • चक्कर आना या बेहोशी महसूस होना
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सामान्य परिणाम -

डॉक्टर आपके टेस्ट के परिणामों का आकलन स्वास्थ्य संबंधी घटकों के अनुसार करेंगे। इसका मतलब है यह है कि अगर आपके परिणाम असामान्य भी आए हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप किसी स्वास्थ्य स्थिति से ग्रस्त हैं।

सीबीसी के परिणाम गर्भावस्था के कारण भी प्रभावित हो सकते हैं। तीनों तिमाही में परिणामों की भिन्न संदर्भ रेंज के बारे में जानने के लिए डॉक्टर से बातचीत करें।

सीबीसी -

सीबीसी के अंतर्गत मापे जाने वाले विभिन्न मानकों की सामान्य संदर्भ वैल्यू निम्न है -

  • आरबीसी काउंट -

    • पुरुष - 4.5-5.5 मिलियन लाल रक्तकोशिकाएं प्रति माइक्रोलीटर (mcL) या 4.5-5.5 x 1012 प्रति लीटर
    • महिलाएं - 4.0-5.0 मिलियन लाल रक्त कोशिकााएं प्रति माइक्रोलीटर या 4.0-5.0 x 1012 प्रति लीटर
    • बच्चे - 3.8-6.0 मिलियन लाल रक्त कोशिकााएं प्रति माइक्रोलीटर या 3.8-6.0 x 1012 प्रति लीटर
    • नवजात शिशु - 4.1-6.1 मिलियन लाल रक्त कोशिकााएं प्रति माइक्रोलीटर या 4.1-6.1 x 1012 प्रति लीटर
  • डब्ल्यूबीसी काउंट -
    पुरुष और वे महिलाएं जो गर्भवती नहीं हैं - 5,000-10,000 सफेद रक्त कोशिकाएं प्रति क्यूबिक मिलीमीटर(mm3) या 5.0-10.0 x 109 WBCs प्रति लीटर (L)
  • डब्ल्यूबीसी डिफ्रेंशियल-
    • न्यूट्रोफिल्स - 50 - 62 फीसदी
    • इओसिनोफिल्स - 0 - 3 फीसदी
    • बासोफिल्स- 0 - 1 फीसदी
    • मोनोसाइट्स- 3 - 7 फीसदी
    • लिम्फोसाइट्स - 25 - 40 फीसदी
    • बैंड न्यूट्रोफिल्स - 3 - 6 फीसदी
  • एचजीबी -

    • पुरुष - 14-17.4 ग्राम्स प्रति डेसीलिटर (g/dL) या 140-174 ग्राम्स प्रति लीटर (g/L)
    • महिलाएं - 12-16 g/dL  या 120-160 g/L
    • नवजात शिशु  - 14.5-24.5 g/dL  या 145-245 ग्राम प्रति लीटर
    • बच्चे - 9.5-20.5 ग्राम प्रति डेसीलीटर  या 95-205 ग्राम प्रति लीटर
  • एचसीटी -

    • पुरुष - 42 - 52 फीसदी  या 0.42-0.52 वॉल्यूम फ्रैक्शन
    • महिलाएं - 36 - 48 फीसदी  या 0.36-0.48 वॉल्यूम फ्रैक्शन
    • बच्चे  - 29 - 59 फीसदी  या 0.29-0.59 वॉल्यूम फ्रैक्शन
    • नवजात शिशु - 44 फीसदी - 64%  या 0.44-0.64 वॉल्यूम फ्रैक्शन
  • आरबीसी इंडिसेस -

    • एमसीएच (वयस्क) - 28-34 पिकोग्राम (pg) प्रति कोशिका 
    • एमसीवी  (वयस्क) - 84-96 फेमटोलिटर (fL) 
    • एमसीएचसी (वयस्क) - 32-36 ग्राम प्रति डेसीलिटर  (g/dL) 
  • आरडीडब्ल्यू -

  • सामान्य - 11.5 - 14.5 फीसदी

  • प्लेटलेट काउंट -

    • वयस्क- 140,000-400,000 प्लेटलेट/mm3  या  140-400 x 109/L
    • बच्चे - 150,000-450,000 प्लेटलेट/mm3  या  150-450 x 109/L
  • एमपीवी -

    • वयस्क - 7.4-10.4 क्यूबिक माइक्रोमीटर (mcm3)  या 7.4-10.4 fL
    • बच्चे - 7.4-10.4 mcm3  या  7.4-10.4 fL

ईएसआर (वेस्टरगेन मेथड)

ईएसआर के लिए सामान्य वैल्यू निम्न हैं  -

  • पुरुष 50 वर्ष से कम - 15 मिलीमीटर प्रति घंटा (mm/h) से कम
  • पुरुष 50 से अधिक - 20 मिलीमीटर प्रति घंटा से कम
  • महिलाएं 50 वर्ष से कम- 20 मिलीमीटर प्रति घंटा से कम
  • महिलाएं 50 से अधिक - 30 मिलीमीटर प्रति घंटा से कम
  • नवजात शिशु - 0-2 मिलीमीटर प्रति घंटा
  • नवजात शिशु से प्यूबर्टी - 3-13 मिलीमीटर प्रति घंटा

पेरीफेरल स्मीयर (पी/एस)

पेरीफेरल स्मीयर (पी/एस) के परिणाम निम्न स्थितियों में सामान्य माने जाते हैं -

  • कोशिकाओं का सामान्य दिखना
  • सामान्य डब्ल्यूबीसी डिफ्रेंशियल

ये सामान्य वैल्यू केवल संदर्भ रेंज हैं और एक गाइड की तरह प्रयोग की जानी चाहिए। भिन्न लेबोरेटरी की संदर्भ वैल्यू अलग-अलग हो सकती हैं और आपकी लेबोरेटरी की संदर्भ वैल्यू कुछ और भी हो सकती है।

असामान्य परिणाम -

यदि भिन्न टेस्ट के परिणाम सामान्य से अधिक आते हैं, तो प्रत्येक टेस्ट के परिणाम के निम्न संकेत होते हैं -

  • आरबीसी काउंट -

    • धूम्रपान
    • पानी की कमी
    • उल्टी या दस्त
    • कुछ कैंसर
    • कुछ विशेष प्रकार का हृदय रोग
    • कार्बन मोनोऑक्साइड से संपर्क
    • अत्यधिक पसीना आना
    • डाईयुरेटिक का प्रयोग
    • किडनी के रोग
    • लंबे समय से फेफड़ों का रोग
    • लिवर डिजीज
    • एल्कोहॉल के प्रयोग से संबंधित विकार
    • बोन मेरो का एक दुर्लभ विकार (पॉलीसिथिमिया वेरा)
    • एक दुर्लभ विकार जिसमें हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन को कस के बांधता है
    • स्प्यूरियस पॉलिसिथिमिया (शरीर में द्रवों की कमी से आरबीसी का घनत्व अधिक दिखता है)
  • डब्ल्यूबीसी काउंट -

    • सूजन
    • संक्रमण
    • गंभीर रूप से मानसिक और शारीरिक तनाव उदाहरण के लिए चोट, बुखार या सर्जरी
    • कॉर्टिकोस्टेरॉयड का प्रयोग
    • कुछ विशेष दवाओं का प्रयोग
    • कुपोषण
    • थायराइड ग्रंथि से जुड़ी समस्याएं
    • प्लीहा का हटाना
    • ट्यूबरकुलोसिस
    • शरीर के ऊतकों को क्षति पहुंचना उदाहरण के लिए दिल का दौरा
    • किडनी फेलियर
    • लुपस
    • ल्यूकेमिया
    • रूमेटाइड आर्थराइटिस
    • एड्रिनल ग्रंथि का सामान्य से कम कार्य करना
  • प्लेटलेट काउंट -

    • आयरन की कमी
    • रक्तस्त्राव
    • बोन मेरो से जुड़ी स्थितियां
    • कैंसर

यदि टेस्ट के परिणाम की वैल्यू सामान्य से कम हैं तो यह निम्न बातों की तरफ संकेत करते हैं -

ब्लड स्मीयर एनीमिया के प्रकार के बारे में जानने में मदद मिल सकती है।

  • डब्ल्यूबीसी काउंट -

    • अन्य दवाओं के प्रति प्रतिक्रिया
    • वायरल संक्रमण
    • अत्यधिक शराब पीना
    • मलेरिया
    • लुपस
    • अप्लास्टिक एनीमिया
    • प्लीहा का बढ़ा होना
    • कीमोथेरेपी
    • एड्स
  • प्लेटलेट काउंट -

    • गर्भावस्था
    • स्थितियां जैसे इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिक पुरपुरा या अन्य स्थितियां जो कि प्लेटलेट के उत्पादित होने के तरीके को प्रभावित करते हैं और प्लेटलेट को नष्ट करते हैं
    • प्लीहा का बढ़ा होना

ईएसआर से परीक्षण में मदद मिल सकती है, लेकिन यह ऐसे सटीक परिणाम नहीं बताता है जिससे किसी विशेष स्थिति के मौजूद होने की तरफ संकेत हो। ईएसआर के असामान्य रूप से अधिक निम्न की तरफ संकेत कर सकते हैं -

  • एनीमिया
  • गर्भावस्था
  • किडनी रोग
  • थायराइड के रोग
  • ऑटोइम्यून स्थितियां -
    • रूमेटाइड आर्थराइटिस
    • लुपस
    • एलर्जिक वाहिकाशोथ
    • मैक्रोग्लोब्युलिनेमिया (प्राइमरी)
    • नेक्रोटाइसिंग वैस्कुलाइटिस
    • जायंट सेल आर्टराइटिस
    • हाइपरफिब्रिनोजेनेमिया (फाइब्रिनोजेन के बढ़े हुए स्तर)
  • संक्रमण -

कैंसर जैसे लिंफोमा या मल्टीपल मायलोमा।

यदि आपके ईएसआर के स्तर सामान्य से कम हैं तो यह निम्न की तरफ संकेत कर सकते हैं -

  • हाइपोफिब्रिनोजेनेमिया (फाइब्रिनोजेन के घटे हुए स्तर)
  • पॉलिसिथिमिया
  • कंजेस्टिव हार्ट फेलियर
  • ल्यूकेमिया
  • लो प्लाज्मा प्रोटीन जो कि किडनी रोग या लिवर रोग के कारण होता है
  • सिकल सेल एनीमिया

यदि पी/एस के स्तर असामान्य हैं तो उन्हें निम्न तरह से लिखा जाता है -

  • 1+ का मतलब है कि एक चौथाई कोशिकाएं प्रभावित हैं
  • 2+ का मतलब है कि आधी कोशिकाएं प्रभावित हैं
  • 3+ का मतलब है कि तीन चौथाई कोशिकाएं प्रभावित हैं
  • 4+ का मतलब है कि सभी कोशिकाएं प्रभावित हैं

यदि टारगेट सेल के नाम से जानी जाने वालो कोशिकाएं देखी जाती हैं तो यह निम्न की तरफ संकेत कर सकता है -

  • आयरन की कमी
  • लिवर रोग
  • प्लीहा का हटाना
  • लेसिथिन-कोलेस्ट्रॉल एसाइलट्रांस्फ़ेराज नामक एंजाइम की कमी
  • असामान्य एचजीबी

यदि अंडाकार कोशिकाएं देखी जाती हैं तो यह निम्न की तरफ संकेत करता है - 

  • आरबीसी का अत्यधिक ब्रेकडाउन
  • इम्यून हिमोलिटिक एनीमिया - शरीर का लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने के कारण आरबीसी की संख्या में कमी
  • हेरेडिटरी स्फेरोसाइटोसिस - आरबीसी की संख्या का कम होना जो कि अंडाकार आकृति की आरबीसी के मौजूद होने के कारण होता है

यदि ओवल के आकार की आरबीसी मौजूद हैं तो यह हेरेडिटरी एलिप्टोसाइटोसिस या हेरेडिटरी ओवलोसाइटोसिस की तरफ संकेत कर सकता है।

यदि फ्रैगमेंटेड कोशिकाएं देखी जाती हैं तो यह निम्न की तरफ संकेत कर सकता है -

  • डिसेमिनेटेड इंट्रावैस्कुलर कोएग्युलेशन  - एक विकार जिसमें ब्लड क्लॉटिंग को नियंत्रित करने वाले प्रोटीन अत्यधिक कार्य करने लगते हैं
  • आर्टिफीसियल हार्ट वाल्व 
  • हेमोलिटिक यूरेमिक सिंड्रोम - पाचन तंत्र में एक संक्रमण जिसके कारण एक विषाक्त पदार्थ बनता है जो आरबीसी को नष्ट करता है
  • थ्रोम्बोटिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिया पुरपुरा - एक विकार जिसमें लो प्लेटलेट काउंट होता है और छोटी रक्त  वाहिकाओं में ब्लड क्लॉट जमने लगते हैं

एक प्रकार के अपरिपक्व आरबीसी जिन्हें नोरमोब्लास्ट कहा जाता है कि उपस्थिति निम्न के कारण हो सकती है -

  • थैलासीमिया - एक विकार जिसमें हीमोग्लोबिन का अत्यधिक ब्रेक डाउन होता है
  • मिलियरी ट्यूबरकुलोसिस - एक प्रकार का ट्यूबरकुलोसिस जो कि फेफड़ों से शरीर के अन्य भागों तक रक्त द्वारा फैल जाता है
  • माइलोफाइब्रोसिस - बोन मेरो का एक विकार जिसमें मेरो फाइब्रोस स्कार टिशू से बदल जाता है या रिप्लेस हो जाता है
  • हेमोलिसिस - आरबीसी का गंभीर रूप से टूटना
  • प्लीहा का हटाना
  • एरीथ्रोब्लास्टोसिस फेटालसिस - रक्त का एक विकार जो कि नवजात शिशु का भ्रूण को प्रभावित करता है
  • कैंसर जो कि बोन मेरो तक फ़ैल चुका है

यदि हेंज़ बॉडीज (टूटे हुए एचजीबी के टुकड़े) पाए जाते हैं तो वे निम्न के कारण हो सकते हैं -

  • जन्मजात हिमोलिटिक एनीमिया
  • एचजीबी का अस्थायी रूप
  • अल्फा थैलासीमिया
  • जी6पीडी की कमी - एक स्थिति जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं किसी विशेष दवा के प्रयोग के कारण टूटने लग जाती हैं या फिर किसी संक्रमण के कारण कम होने लगती हैं

यदि वे कोशिकाएं जिन्हें ब्लर्र सेल (एक तरह की असामान्य आरबीसी) कहा जाता है देखी  जाती हैं तो वे निम्न की तरफ संकेत कर सकती हैं -

  • यूरेमिया - नाइट्रोजन के अपशिष्ट पदार्थों की रक्त में असामान्य रूप से अधिक मात्रा का मौजूद होना

यदि टियरड्रॉप के आकार की लाल रक्त कोशिकाएं देखी जाती हैं तो यह निम्न की तरफ संकेत  कर सकता है -

  • गंभीर रूप से आयरन की कमी
  • थैलासीमिया मेजर
  • बोन मेरो में कैंसर
  • एनीमिया जो कि बोन मेरो द्वारा टॉक्सिक या ट्यूमर कोशिकाओं के कारण ठीक तरह से लाल रक्त कोशिकाएं न बना पाने के कारण होता है (मायलोफथिसिक प्रोसेस)

यदि थोड़े से अपरिपक्व आरबीसी देखे जाते हैं तो यह निम्न की तरफ संकेत कर सकता है -

  • बोन मेरो ठीक होने के दौरान एनीमिया होना
  • हेमरेज
  • हिमोलिटिक एनीमिया

यदि आरबीसी में ग्रैन्यूल्स के एक प्रकार जिसे हॉवेल-जोली बॉडीज कहा जाता है, पाए जाते हैं तो यह निम्न के कारण हो सकता है

  • प्लीहा का हटाया जाना
  • सिकल सेल एनीमिया
  • मायलोडिसप्लासिया (एक स्थिति जिसमें बोन मेरो पर्याप्त मात्रा में स्वस्थ कोशिकाएं नहीं बनाता है)

यदि स्पुर कोशिकाएं (सामान्य से बड़ी आरबीसी जो नुकीली होती हैं) कही जाने वाली कोशिकाएं देखी जाती हैं तो इसका निम्न मतलब हो सकता है -

  • गंभीर लिवर रोग
  • अबीटालिपोप्रोटिनेमिया - आंत के द्वारा डाइटरी फैट्स को अवशोषित करने में असामान्यता

यदि बासोफिल्स (बेसोफिलिक स्टिप्लिंग) में किसी तरह की कोई असामान्यता दिखाई देती है तो यह निम्न के कारण हो सकता है -

सिकल के आकार की लाल रक्त कोशिकाओं की मौजूदगी सिकल सेल एनीमिया की तरफ संकेत कर सकती है।

संदर्भ

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