एक व्यक्ति अपने पालतू कुत्ते के चाटने के कारण कई ऐसे संक्रमण और बैक्टीरिया से ग्रस्त हो गया, जिनके कारण उसकी मौत हो गई। डॉक्टरों की मानें तो 63 वर्षीय यह व्यक्ति कुत्ते के चाटने से पहले बिल्कुल स्वस्थ था। व्यक्ति की पहचान उजागर नहीं की गई है। वह कई दिनों से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के चलते अस्पताल में भर्ती था। अस्पताल की रिपोर्ट के मुताबिक व्यक्ति निमोनिया, गैंग्रीन और 105 डिग्री बुखार से ग्रस्त था। इन सभी का कारण कैपनोसाइटोफैगा कैनीमोरस नाम के एक बैक्टीरिया को बताया जा रहा है, यह बैक्टीरिया आमतौर पर काटने या किसी जानवर के चाटने से फैलता है।

कैपनोसाइटोफैगा कैनीमोरस जानवरों में पाया जाने वाला सामान्य बैक्टीरिया है, लेकिन इसके मनुष्य में फैलने के मामले बेहद कम पाए गए हैं। जर्मनी के ब्रेमेन में रोट क्रूज क्राईकैनहाउस के डॉक्टरों द्वारा बताई गई यह रिपोर्ट एक मेडिकल जर्नल में छपी है। स्टडी के मुताबिक इस बैक्टीरिया के करीब 25 फीसदी संक्रमण घातक होते हैं। हालांकि, ज्यादातर लोग इस संक्रमण के संपर्क में आने पर बिल्कुल बीमार नहीं पड़ते।

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यूरोपियन जर्नल ऑफ केस रिपोर्ट्स इन इंटरनल मेडिसिन में छपी रिपोर्ट में बताया गया कि जब तक व्यक्ति इलाज के लिए अस्पताल पहुंचा, तब तक वह कई गंभीर ब्लड इन्फेक्शन से ग्रस्त हो चुका था। इस स्थिति से व्यक्ति की जान बचाने के लिए उसे आईसीयू में रखा गया, जहां करीब 4 दिन तक उसका इलाज चला, लेकिन स्थिति और खराब होती गई। शुरुआत में व्यक्ति के चेहरे पर लाल चकत्ते, नसों में दर्द और पैरों पर कई चोट के निशान थे जो आगे चलकर किडनी और लिवर तक पहुंच गए, जिसके बाद उन्होंने काम करना बंद कर दिया और रक्त वाहिकाओं में खून जमने के कारण त्वचा सड़ने लगी और अंत में कार्डियक अरेस्ट (हृदय गति रुकने) के कारण व्यक्ति ने दम तोड़ दिया। 

संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. थॉमस बटलर ने बताया कि कैपनोसाइटोफैगा संक्रमण तब फैलता है जब किसी जानवर की लार किसी खुले जख्म या कटी त्वचा, या श्लेष्मा झिल्ली जैसे आंखों, नाक या मुंह के संपर्क में आती है। ज्यादातर मामलों में लोग पालतू जानवरों के संपर्क में आने से बीमार नहीं पड़ते हैं, लेकिन बुजुर्ग और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में किसी जंगली जानवर के काटने या चाटने के कारण कैंसर, एड्स और कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं होने का खतरा हो सकता है।

फ्लू जैसे लक्षण कैपनोसाइटोफैगा संक्रमण हो सकते हैं
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक कैपनोसाइटोफैगा संक्रमण के संपर्क में आने के 1 से 14 दिन के अंदर फफोले, बुखार, उलझन, उल्टी व मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होने जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

यह संक्रमण मृत्यु का कारण बनने वाली गंभीर बीमारियां भी पैदा कर सकता है, जैसे कि सेप्सिस (ब्लड इन्फेक्शन), यह रोग शरीर के बीमारी से लड़ने के कारण शुरू हो सकता है। ब्लड इन्फेक्शन के दौरान आपको तेज बुखार, जुकाम, तीव्र दर्द, सांस फूलना, दिल की धड़कन तेज होना, चक्कर आना और त्वचा पर तेज पसीने जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं।

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कैपनोसाइटोफैगा संक्रमण का इलाज
यह जानलेवा बैक्टीरिया कुत्ते और बिल्लियों की लार में पाया जाता है। इसके इलाज में कई प्रभावशाली एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, इसके कारण कुछ मामलों में उम्र भर ग्रस्त करने वाले रोग भी विकसित हो सकते हैं। इस संक्रमण का जितनी जल्दी परीक्षण करवाया जाए, उतना ही अधिक इससे बचने की उम्मीद होती है। करीब 30 फीसदी रोगी इस संक्रमण के संपर्क में आने के कारण मर जाते हैं।

डॉक्टरों ने बताया कि 74 प्रतिशत कुत्तों में यह बैक्टीरिया पाया जाता है, लेकिन फिर भी अभी तक इसके काफी कम मामले पाए गए थे और अब तक माना जाता था कि यह रोग केवल कमजोर इम्यून सिस्टम वाले व्यक्तियों को ही प्रभावित कर सकता है, लेकिन इस नए मामले के सामने आने के बाद यह माना जा रहा है कि यह संक्रमण किसी को भी हो सकता है।

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