कंधे को शरीर के सबसे सक्रिय अंगों के रूप में जाना जाता है। वर्तमान समय में दुनियाभर में कंधे में दर्द एक सामान्‍य समस्‍या बन गई है। ये दर्द कंधे के जोड़ में और इसके आसपास महसूस होता है।

अगर कंधे पर कोई चोट या दिक्‍कत हो तो रोजमर्रा के काम करने में परेशानी आती है। कंधे को संतुलन और मजबूती प्रदान करने वाले रोटेटर कफ टेंडन में सूजन या क्षति होने पर कंधे में दर्द होता है। ये कंधे में दर्द का सबसे सामान्‍य कारण है और इसे रोटेटर कफ टेनडिनिटिस कहा जाता है। कंधे के जोड़ में आमवात (आर्थराइटिस), अवबहुका (फ्रोजन शोल्‍डर), कंधे की हड्डी के खिसकने या अलग होने या इसे नुकसान पहुंचने या फ्रैक्‍चर होने के कारण भी कंधे में दर्द हो सकता है।

आयुर्वेद में कंधे के दर्द के इलाज के लिए हरिद्रा (हल्‍दी), अदरक, रसोनम (लहसुन), विडंग, चक्रमर्द, अश्‍वगंधा, बाला जैसी जड़ी बूटियां और औषधियों में योगराज गुग्‍गुल एवं दशमूल कषाय का इस्‍तेमाल किया जाता है। कंधे में दर्द से संबंधित विभिन्‍न स्थितियों के उपचार के लिए नास्‍य कर्म (नाक से औषधि डालने की विधि), पाचन (पाचन में सुधार), स्‍नेहन (तेल लगाने की विधि), स्‍वेदन (पसीना लाने की विधि) और लेप (प्रभावित हिस्‍से पर औषधीय लेप लगाना) की चिकित्‍सा दी जाती है।

  1. आयुर्वेद के दृष्टिकोण से कंधे में दर्द - Ayurveda ke anusar kandhe me dard
  2. कंधे के दर्द का आयुर्वेदिक इलाज - Kandhe ke dard ka ayurvedic ilaj
  3. कंधे में दर्द की आयुर्वेदिक दवा, जड़ी बूटी और औषधि - Kandhe ke dard ki ayurvedic dawa aur aushadhi
  4. आयुर्वेद के अनुसार कंधे में दर्द होने पर क्या करें और क्या न करें - Ayurved ke anusar kandhe me dard hone par kya kare kya na kare
  5. कंधे में दर्द की आयुर्वेदिक दवा कितनी लाभदायक है - Shoulder pain ka ayurvedic upchar kitna labhkari hai
  6. कंधे में दर्द की आयुर्वेदिक औषधि के नुकसान - Shoulder pain ki ayurvedic dawa ke side effects
  7. कंधे में दर्द के आयुर्वेदिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Kandhe me dard ke ayurvedic ilaj se jude anya sujhav
कंधे में दर्द की आयुर्वेदिक दवा और इलाज के डॉक्टर

कंधे के जोड़ में दर्द को अम्‍सा संधि शूल कहा जाता है। कंधे में दर्द के आयुर्वेदिक उपचार में इसकी मूल जड़ का इलाज किया जाता है और मरीज को लंबे समय तक राहत पहुंचाने पर ध्‍यान केंद्रित किया जाता है। आयुर्वेदिक ग्रं‍थों में कंधे में दर्द के निम्‍न प्रमुख कारण हैं:

  • अवबहुका:
    इस स्थिति में कंधे के जोड़ में वात असंतुलित हो जाता है जिसके कारण दर्द होने के साथ-साथ कंधे को हिलाने में भी परेशानी आती है और कंधे की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचता है।
  • आमवात: 
    खराब पाचन के कारण शरीर में अमा बनने लगता है और शरीर के विभिन्‍न हिस्‍सों में अमा जमना शुरु हो जाता है। कंधे के जोड़ में इस अमा (विषाक्‍त पदार्थ) के वात दोष को खराब करने पर आमवात की स्थिति उत्‍पन्‍न होती है।
  • कंधे का खिसकना:
    कंधे के खिसकने की स्थिति में वात में गड़बड़ी आती है जिसके कारण कंधे के जोड़ में दर्द और कफ सूखने लगता है। इसकी वजह से कंधे के जोड़ में असंतुलन पैदा होने लगता है।

कंधे में दर्द की स्थिति में वात को संतुलित करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार में विभिन्‍न सूजन-रोधी और दर्द निवारक जड़ी बूटियों एवं वात शमन चिकित्‍साओं का उपयोग किया जाता है।

Joint Pain Oil
₹494  ₹549  10% छूट
खरीदें
  • नास्‍य कर्म
    • इस प्रक्रिया में हर्बल दवाओं को औषधीय तेल, पेस्‍ट, पाउडर के रूप में या दवा के धुएं को नाक में डाला जाता है।
    • ये चिकित्‍सा सिर, आंखों, गले, कंधों, गर्दन, कान, नाक और कंधे की हड्डी से संबंधित समस्‍याओं से राहत दिलाने में असरकारी है।
    • नास्‍य कर्म से शरीर और मस्तिष्‍क में हल्‍कापन महसूस होता है।
    • नास्‍य कर्म के बाद चेहरे, गले, गालों और माथे पर हल्‍का स्‍वेदन (पसीना लाया) किया जाता है साथ ही तलवों, हथेलियों और गर्दन के पीछे वाले हिस्‍से पर मालिश की जाती है।
    • गर्म पानी से कुल्‍ला और औषधीय धुएं को सांस से अंदर लेकर मुंह एवं गले से कफ दोष को साफ किया जाता है।
    • फ्रोजन शोल्‍डर (कंधे की अकड़न) के साथ-साथ कंधे के खिसकने और इसकी वजह से होने वाले दर्द के इलाज में नास्‍य कर्म उपयोगी होता है।
       
  • पाचन
    • इसमें पाचन अग्नि को उत्तेजित करने वाली पाचन दवाएं दी जाती है जो कि न पचने वाले भोजन को जल्‍दी और प्रभावी तरीके से शरीर से बाहर निकालती हैं।
    • ये थेरेपी कोशिकीय और जठरांत्र, दोनों स्‍तर पर पाचन में सुधार लाती है।
    • आर्थराइटिस या फ्रोजन शोल्‍डर से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति के शरीर में जमा विषाक्‍त पदार्थ को हटाने और पाचन में सुधार लाने के लिए घी अग्नि उत्तेजक के रूप में कार्य करता है। आमतौर पर इसे पाचक रसों या पाचक उत्तेजकों के साथ दिया जाता है।
    • पाचन की प्रक्रिया 3 से 7 दिनों तक चलती है।
    • पाचन चिकित्‍सा के बाद पाचन और प्‍यास में सुधार आता है एवं मरीज को हल्‍कापन महसूस होता है। इससे मल में श्‍लेम आने की शिकायत भी दूर होती है।
       
  • स्‍नेहन
    • इसमें पूरे शरीर पर गर्म औषधीय तेल को लगाया जाता है।
    • स्‍नेहन में घी या तेल पिलाकर शरीर को अंदर से चिकना किया जाता है। इसमें एनिमा या नासिका मार्ग के जरिए घी या तेल को शरीर के अंदर पहुंचाया जाता है।
    • स्‍नेहन से शरीर बाहरी और अंदरूनी रूप से चिकना होता है।
    • ये वात विकारों जैसे कि फ्रोजन शोल्‍डर और आर्थराइटिस के इलाज में असरकारी है। इसलिए इन विकारों के कारण होने वाले कंधे में दर्द से राहत पाने के लिए स्‍नेहन का उपयोग किया जा सकता है।
    • स्‍नेहन से वात संतुलित होता है जिससे अमा और अपशिष्‍ट पदार्थ स्रावित होकर उस जगह पर आ जाते हैं जहां से उन्‍हें आसानी से शरीर से बाहर निकाल लिया जाता है।
    • वात विकार की स्थिति में स्‍नेहन क्रिया में लगभग 7 दिनों का समय लगता है।
       
  • स्‍वेदन
    • इसमें भाप या पसीना लाने वाली थेरेपी से अमा को पतला कर के पेट में लाया जाता है। यहां से अमा को आसानी से शरीर से बाहर निकाल लिया जाता है। इससे पाचन में भी सुधार आता है।
    • ये अकड़न, ठंड और भारीपन से राहत प्रदान करता है।
    • वात प्रधान विकारों जैसे कि आर्थराइटिस और फ्रोजन शोल्‍डर के प्रमुख उपचार में स्‍वेदन किया जाता है। इसलिए इन स्थितियों से संबंधित कंधे में दर्द से राहत पाने के लिए स्‍वेदन उपयोगी है।
       
  • लेप
    • लेप जैसे कि मूरीवेन्ना तेल को लगाने से कंधे में दर्द और सूजन कम होती है।
    • मूरीवेन्ना तेल को करंज, नागवल्‍ली, शिग्रु (सहजन), नारियल तेल, पलांडु (प्‍याज) और शतावरी से तैयार किया गया है।
    • कंधे के खिसकने की स्थिति में कंधे के जोड़ के आसपास पैड या बैंडेज के ऊपर इस तेल को लगाया जाता है।
    • लेप फ्रैक्‍चर, घाव, चोट, ऐंठन और मांसपेशियों में दर्द के इलाज में भी उपयोगी है।

कंधे में दर्द के लिए आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां

  • हरिद्रा
    • इस जड़ी बूटी के प्रकंद (ऐसे कंद जो जमीन के अंदर होते हैं) और ट्यूबर (प्रकंद का वो मोटा हिस्‍सा जो जमीन के अंदर रहता है) का इस्‍तेमाल इसमें मौजूद औषधीय गुणों के कारण किया जाता है।
    • ये तीखी और कड़वी जड़ी बूटी बड़े पैमाने पर पूरे भारत में उगाई जाती है।
    • ये एक सक्रिय सूजन-रोधी तत्‍व है एवं यह दर्द से राहत दिलाने का भी काम करती है।
    • सूजन-रोधी गुणों के कारण हल्‍दी के करक्‍यूमिन और करक्‍यूमिनोइड रस की सलाह आर्थराइटिस में दी जाती है। इसलिए ये आर्थराइटिस के कारण होने वाले कंधे में दर्द से राहत प्रदान करने में उपयोगी है।
    • ये बैक्‍टीरियल-रोधी और शक्‍तिवर्द्धक तत्‍व के रूप में भी कार्य करती है और इस वजह से हरिद्रा कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं के इलाज में उपयोगी है।
       
  • अदरक
    • अदरक एक सूजन-रोधी जड़ी बूटी है जिसका इस्‍तेमाल आर्थराइटिस के इलाज में किया जाता है।
    • इस जड़ी बूटी के प्रकंद में दर्द निवारक, पाचक, वमन (उल्‍टी लाने वाले) और सुगंधक गुण होते हैं।
    • दर्द निवारक गुणों के कारण अदरक कंधे में दर्द से राहत दिलाने में असरकारी है।
    • चूंकि अदरक में कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं इसलिए इसे चमत्‍कारिक दवा माना जाता है। वात विकारों के इलाज के लिए इसे काले नमक के साथ ले सकते हैं।
    • कंधे के खिसकने की स्थिति में अदरक असंतुलित वात को ठीक करने में मदद करती है। इसलिए इस स्थिति के कारण हुए कंधे में दर्द को अदरक से दूर किया जा सकता है।
       
  • रसोनम
    • पूरे भारत में रसोनम की खेती की जाती है। आयुर्वेद में विभिन्‍न रोगों के इलाज के लिए इसकी कली एवं तेल का उपयोग किया जाता है।
    • रसोनम में कृमिनाशक, कफ-निस्‍सारक और ऐंठन-रोधी गुण पाए जाते हैं।
    • ये दर्द निवारक के तौर पर भी काम करता है और कंधा उतर जाने की वजह से होने वाले दर्द से राहत प्रदान करता है।
    • लहसुन खराब हुए वात को ठीक करता है और कंधा उतर जाने की रिकवरी प्रक्रिया को तेज करता है। ये इस समस्‍या को दोबारा होने से भी रोकता है।
    • इसलिए कंधा उतर जाने की वजह से होने वाले कंधे में दर्द को दूर करने के लिए लहसुन की सलाह दी जाती है।
       
  • विडंग
    • विडंग सूजन-रोधी और वमन-रोधी (उल्‍टी रोकने) के रूप में कार्य करती है।
    • सूजन-रोधी गुणों से युक्‍त होने के कारण लहसुन आर्थराइटिस के इलाज में उपयोगी है। इस प्रकार ये आर्थराइटिस की वजह से हो रहे कंधे में दर्द से राहत दिलाता है।
    • इसका इस्‍तेमाल नास्‍य कर्म की प्रक्रिया में भी किया जाता है।
       
  • चक्रमर्द
    • आयुर्वेदिक औषधियां तैयार करने में चक्रमर्द की पत्तियों, बीजों और जड़ का इस्‍तेमाल किया जाता है।
    • चक्रमर्द एक प्राकृतिक सूजन-रोधी जड़ी बूटी है।
    • इस पौधे की पत्तियों को अरंडी के तेल में उबालकर सूजन वाले हिस्‍से पर लगाया जाता है जिससे सूजन और लालपन से राहत मिलती है।
    • ये जोड़ों में दर्द को भी कम करने में मदद करती है।
       
  • अरंडी
    • लगभग इस पूरी जड़ी बूटी में ही औषधीय गुण पाए जाते हैं।
    • इसके सूजन-रोधी और दर्द निवारक गुण आर्थराइटिस के इलाज में मदद करते हैं और कंधे के जोड़ में गठिया की वजह से होने वाले दर्द से राहत दिलाते हैं।
    • कंधे में दर्द को दूर करने के लिए दर्द-भरे जोड़ पर अरंडी की पत्तियां लगाई जाती हैं।
    • ये वात विकारों के इलाज में बहुत उपयोगी है।
       
  • अश्‍वगंधा
    • आमतौर पर फ्रोजन शोल्‍डर की स्थिति में अश्‍वगंधा का इस्‍तेमाल चूर्ण (पाउडर) के रूप में घी, पानी या शहद के साथ किया जाता है। फ्रोजन शोल्‍डर की वजह से होने वाले कंधे में दर्द को दूर करने में अश्‍वगंधा उपयोगी है।
       
  • बाला
    • बाला में सूजन-रोधी और ऑक्‍सीडेंट-रोधी गुण पाए जाते हैं।
    • ये व्‍यक्‍ति की दर्द को बर्दाश्‍त करने की क्षमता को बढ़ाती है।
    • फ्रोजन शोल्‍डर के इलाज में बाला का चूर्ण बहुत असरकारी होता है। फ्रोजन शोल्‍डर की वजह से कंधे में दर्द की समस्‍या को बाला से दूर किया जा सकता है।

कंधे में दर्द के लिए आयुर्वेदिक औषधियां

  • योगराज गुग्‍गुल
    • इस औषधि में गुग्गुल, चित्रक, रसना, गोक्षुरा, पिप्‍पलीमूल, गुडूची और शतावरी जैसी जड़ी बूटियां मौजूद हैं।
    • ये वात को शांत और अमा को साफ करती है। इस प्रकार वात से संबंधित स्थितियों के कारण उत्‍पन्‍न हुए कंधे में दर्द और सूजन से राहत पाने में योगराज गुग्‍गुल असरकारी है।
       
  • दशमूल कषाय
    • दशमूल कषाय एक काढ़ा है जिसे 10 जड़ी बूटियों जैसे कि बृहती (बड़ी कठेरी), बिल्‍व (बेल), पृष्‍णपर्णी (कलशी), श्‍योनाक (सोनपाठा), अग्निमांथ, गंभारी, कंटकारी (छोटी कठेरी) और गोक्षुरा से बनाया गया है।
    • ये वात के बढ़ने से पैदा हुए दर्द (जैसे कि कंधे में दर्द) को दूर करने में असरकारी है।
    • दशमूल कषाय से बुखार से संबंधित हड्डियों की बीमारी के साथ-साथ हड्डियों के डिजनरेटिव रोग (जो समय के साथ एक ऊतक या अंग को खराब कर देते हैं) जैसी अन्‍य स्थितियों को भी नियंत्रित किया जा सकता है।

व्‍यक्‍ति की प्रकृति और प्रभावित दोष जैसे कई कारणों के आधार पर चिकित्‍सा पद्धति निर्धारित की जाती है। उचित औषधि और रोग के निदान हेतु आयुर्वेदिक चिकित्‍सक से परामर्श करें।

Joint Capsule
₹719  ₹799  10% छूट
खरीदें

क्‍या करें

  • अपने आहार में दूध, दलिया, शलि चावल, शिग्रु, कुलथी दाल, उड़द की दाल और बैंगन को शामिल करें।
  • कंधा उतर जाने से पीड़ित व्‍यक्‍ति को उंगलियों को हिलाकर मुट्ठी बांधने की कोशिश करनी चाहिए। इससे अगर कंधे को हिलाने-डुलाने में दिक्कत आ रही है तो भी उसकी अकड़न में कमी आएगी और रक्‍त प्रवाह बेहतर होगा।
  • डॉक्‍टर की सलाह पर कंधे की एक्‍सरसाइज कर सकते हैं।

क्‍या न करें

  • कलय (पीले मटर) और ठंडा पानी पीने से बचें।
  • देर रात बैठने और ज्‍यादा ठंडे तापमान में रहने से बचें।
  • आर्थराइटिस के मरीजों को प्राकृतिक इच्‍छाएं जैसे कि पेशाब रोकना नहीं चाहिए।
  • आर्थराइटिस से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति को मुश्किल से पचने वाली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • अनुचित खाद्य पदार्थ जैसे कि मछली के साथ दूध, गुड़ और दही खाने से बचें।

एक चिकित्‍सकीय अध्‍ययन में ये बात सामने आई है कि बार-बार कंधे के उतरने की समस्‍या को नियंत्रित करने में मुरिवेन्‍ना पिचू के साथ कई अन्‍य आयुर्वेदिक चिकित्‍साएं असरकारी हैं। वातहर (वात को खत्‍म करने) गुणों से युक्‍त मुरिवेन्‍ना को कंधा उतरने की स्थिति में उपयोगी माना गया है। अध्‍ययन के अनुसार मुरिवेन्‍ना में दर्द निवारक और सूजन-रोधी गुण होते हैं जिससे ये कंधे के दर्द से राहत प्रदान करती है।

अन्‍य चिकित्‍सकीय अध्‍ययन की रिपोर्ट में रुमेटाइड आर्थराइटिस के इलाज में हल्‍दी के प्रभाव की बात कही गई है। इस अध्‍ययन में आर्थराइटिस के इलाज में अदरक और इंडोमे‍थासिन से हल्‍दी के प्रभाव की तुलना की गई थी। हल्‍दी के एंटीऑक्‍सीडेंट और सूजन-रोधी गुण अदरक एवं इंडोमे‍थासिन से ज्‍यादा बेहतर पाए गए। इसलिए आर्थराइटिस में होने वाले कंधे के दर्द से राहत पाने के लिए हल्‍दी उपयोगी है।

(और पढ़ें - कंधे के दर्द के घरेलू उपाय)

वैसे तो आयुर्वेदिक उपचार और हर्बल औषधियों के कोई हानिकारक प्रभाव नहीं होते हैं लेकिन फिर इनके इस्‍तेमाल के दौरान सावधानी बरतना जरूरी है। प्रकृति के आधार पर कुछ लोगों को किसी विशेष उपचार या नुस्‍खे से नुकसान हो सकता है। उदाहरण के तौर पर:

  • अपच से परेशान, व्रत, एनिमा या दस्‍त के बाद नास्‍य कर्म नहीं करना चाहिए। तेज बुखार में भी ये चिकित्‍सा नहीं लेनी चाहिए।
  • बहुत ज्‍यादा कमजोर या मजबूत पाचन और गले से संबंधित बीमारियों से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति पर स्‍नेहन का गलत असर पड़ सकता है। मोटापे से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति को भी स्‍नेहन नहीं लेना चाहिए।
  • स्‍वेदन के दौरान ज्‍यादा तेल लगाने से बचना चाहिए क्‍योंकि इसकी वजह से पाचन तंत्र से जुड़े विकार हो सकते हैं।
  • गर्भवती महिलाओं को हरिद्रा का सेवन सावधानीपूर्वक करना चाहिए। डिहाइड्रेशन या बहुत ज्‍यादा थकान होने पर हल्‍दी के सेवन से बचें।
  • अदरक का सीधा सेवन न करें क्‍योंकि इसकी वजह से पित्त बढ़ सकता है और बुखार या अल्‍सर भी हो सकता है।
  • अत्‍यधिक मात्रा में बाला का सेवन न करें।

(और पढ़ें - कंधे में दर्द का होम्योपैथिक इलाज)

Joint Support Tablet
₹449  ₹695  35% छूट
खरीदें

कंधे के जोड़ से हाथ को हिलाने और कई तरह के काम करने में मदद मिलती है। कंधे में दर्द होने की स्थिति में रोजमर्रा के कई काम प्रभावित होते हैं। जोड़ों में दर्द के आयुर्वेदिक उपचार में कंधे के दर्द के सही कारण का पता लगाया जाता है। कंधे के किसी विकार के कारण वात के असंतु‍लन को आयुर्वेदिक थेरेपी से ठीक करने में मदद मिलती है और ये दर्द से राहत प्रदान करने के लिए अमा को भी साफ करता है। सूजन-रोधी और दर्द निवारक जड़ी बूटियां फ्रोजन शोल्‍डर, आर्थराइटिस और कंधा उतरने जैसी स्थितियों में होने वाले कंधे के दर्द से राहत दिलाने में अहम भूमिका निभाती हैं।

वैसे तो आयुर्वेदिक औषधियों को सुरक्षित और हानिकारक प्रभावों से रहित माना जाता है लेकिन फिर भी इनके इस्‍तेमाल से पहले डॉक्‍टर की सलाह लेनी जरूरी है। इससे बीमारी से जल्‍दी रिकवर करने में भी मदद मिलती है।

(और पढ़ें - कंधे का ऑपरेशन कैसे होता है)

Dr Bhawna

Dr Bhawna

आयुर्वेद
5 वर्षों का अनुभव

Dr. Padam Dixit

Dr. Padam Dixit

आयुर्वेद
10 वर्षों का अनुभव

Dr Mir Suhail Bashir

Dr Mir Suhail Bashir

आयुर्वेद
2 वर्षों का अनुभव

Dr. Saumya Gupta

Dr. Saumya Gupta

आयुर्वेद
1 वर्षों का अनुभव

संदर्भ

  1. State of Victoria. [Internet]. Department of Health & Human Services. Shoulder pain.
  2. Dr Cathy Speed. Shoulder pain. BMJ Clin Evid. 2006; 2006: 1107. PMCID: PMC2907630.
  3. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Shoulder pain.
  4. Chandini Ravikumar. Herbal Remedy for Rheumatoid Arthritis. J. Pharm. Sci. & Res. Vol. 6(9), 2014, 310-312.
  5. Ministry of Ayush. [Internet]. Government of India. Ayurvedic Standard Treatment Guidelines.
  6. R.N. Tripathy. et al. Int. J. Res. Ayurveda Pharm. 7(6), Nov- Dec 2016.
  7. Sandu Pillai et al / Int. J. Res. Ayurveda Pharm. 8 (Suppl 3), 2017.
  8. Lakshmi C. Mishra. Scientific Basis for Ayurvedic Therapies. Library of Congress.
  9. Nishant Singh. Panchakarma: Cleaning and Rejuvenation Therapy for Curing the Diseases . Journal of Pharmacognosy and Phytochemistry. ISSN 2278- 4136. ZDB-Number: 2668735-5. IC Journal No: 8192.
  10. Nishant Singh. Panchakarma: Cleaning and Rejuvenation Therapy for Curing the Diseases . Journal of Pharmacognosy and Phytochemistry. ISSN 2278- 4136. ZDB-Number: 2668735-5. IC Journal No: 8192.
  11. Swami Sadashiva Tirtha. The Ayurveda Encyclopedia. Sat Yuga Press, 2007. 657 pages.
  12. Oushadhi. [Internet]. A Govt of Kerala. Medicated Oils (Thylam).
  13. Narendra Singh. et al. An Overview on Ashwagandha: A Rasayana (Rejuvenator) of Ayurveda. Afr J Tradit Complement Altern Med. 2011; 8(5 Suppl): 208–213. PMID: 22754076.
  14. Ankit Jain. et al. Sida cordifolia (Linn) – An overview. Journal of Applied Pharmaceutical Science 01 (02); 2011: 23-31.
  15. Vaidya Panchnan Gangadhar Shashtri Gune. Ayurveda aushadhigundharmashastra . Chaukhamba Sanskrit Pratishthan.
  16. Central Council for Research in Ayurvedic Sciences. [Internet]. National Institute of Indian Medical Heritage. Handbook of Domestic Medicine and Common Ayurvedic Medicine.
  17. Ministry of Ayush. [Internet]. Government of India. Anti Inflammatory and Anti Oxidant Properties of Curcuma (Turmeric) versus Zingiber Officinale (Ginger) Rhizomes in Rat Adjuvant-Induced Arithritis.
ऐप पर पढ़ें