रैपिडिलीनो सिंड्रोम - RAPADILINO syndrome in Hindi in Hindi

Dr. Nadheer K M (AIIMS)MBBS

February 08, 2021

March 01, 2021

रैपिडिलीनो सिंड्रोम
रैपिडिलीनो सिंड्रोम

रैपाडिलीनो सिंड्रोम क्या है?

RAPADILINO सिंड्रोम एक दुर्लभ बीमारी है, जिसमें शरीर के कई हिस्सों पर असर होता है। विशेष रूप से हड्डियों का विकास प्रभावित होता है। RAPADILINO सिंड्रोम से ग्रस्त ज्यादातर लोगों के फोरआर्म (कोहनी और कलाई के बीच का हिस्सा) और अंगूठे में हड्डियों का विकास सही से नहीं हो पाता है, जिसे 'रेडियल रे मैलफॉर्मेशन' के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा नीकैप (पटेला) अविकसित या अनुपस्थित भी हो सकती है। अन्य विशेषताओं की बात करें, तो इसमें क्लेफ्ट पैलेट (फांक तालू), लंबी व पतली नाक और ज्वॉइंट डिस्लोकेट (जोड़ खिसक जाना) होना शामिल है।

RAPADILINO सिंड्रोम से ग्रस्त कई शिशुओं को दूध पीने में दिक्कत और उल्टीदस्त जैसी समस्या भी हो सकती है। हड्डियों का विकास और फीडिंग से संंबंधित समस्याओं का कॉम्बिनेशन प्रभावित व्यक्तियों के विकास को धीमा करता है और उनका कद छोटा रह जाता है।

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RAPADILINO सिंड्रोम वाले कुछ व्यक्तियों की त्वचा पर हल्के भूरे रंग के चकत्ते पड़ सकते हैं। हालांकि, यह नुकसानदायक नहीं होते हैं। इसके अलावा RAPADILINO सिंड्रोम वाले लोगों में ​हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) या रक्त कैंसर (लिम्फोमा) विकसित होने का भी जोखिम होता है। RAPADILINO सिंड्रोम वाले व्यक्तियों में, ऑस्टियोसारकोमा ज्यादातर बचपन या किशोरावस्था में विकसित होता है, जबकि लिम्फोमा आमतौर पर युवाओं में विकसित होता है।

RAPADILINO सिंड्रोम के विभिन्न संकेत और लक्षण अन्य विकारों के लक्षणों के साथ ओवरलैप करते हैं जैसे बैलर-गेरोल्ड सिंड्रोम और रोथमंड-थॉमसन सिंड्रोम। इन सिंड्रोमों की विशेषताओं में रेडियल रेय डिफेक्ट, स्केलेटल यानी कंकाल संबंधित असामान्यताएं और विकास धीमा होना शामिल हैं। ये सभी स्थितियां एक ही जीन में गड़बड़ी के कारण हो सकती हैं। इन समानताओं के आधार पर, शोधकर्ता इस बात की जांच कर रहे हैं कि बैलर-गेरोल्ड सिंड्रोम, रोथमंड-थॉमसन सिंड्रोम और रैपिडिलिनो सिंड्रोम अलग-अलग विकार हैं या किसी एक सिंड्रोम के यह सभी भाग हैं।

इस सिंड्रोम की पहचान पहली बार फिनलैंड में हुई थी, जहां 75,000 व्यक्तियों में अनुमानित किसी एक को यह समस्या होती है। हालांकि, यह अन्य क्षेत्रों में भी पाया गया है।

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रैपाडिलीनो सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं? - RAPADILINO syndrome symptoms in Hindi

ऊपर बताई गई विशेषताओं के अतिरिक्त RAPADILINO सिंड्रोम के कुछ अन्य लक्षण भी मौजूद हैं -

  • अंगूठे का विकसित न होना
  • तालू कटा होना
  • एप्लेशिया (किसी अंग या ऊतक का खराब होना, जिसकी वजह से सामान्य रूप से कार्य नहीं कर पाना)
  • ब्लेफेरोफिमोसिस (एक जन्मजात विसंगति, जिसमें पलकें अविकसित रह जाती हैं और इन्हें सामान्य रूप से या पूरी तरह से नहीं खोला जा सकता है)
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रैपाडिलीनो सिंड्रोम का कारण क्या है? - RAPADILINO syndrome causes in Hindi

RAPADILINO सिंड्रोम का कारण जीन में गड़बड़ी है। यह RECQL4 नामक जीन में गड़बड़ी की वजह से होता है। यह जीन आरईसीक्यू हेलीकेज (RecQ helicases) नामक प्रोटीन का एक भाग बनाने के लिए निर्देश देता है। हेलीकेज एंजाइमों का एक वर्ग है, जो डीएनए को जोड़ता या बांधता है और अस्थाई रूप से डीएनए अणु के दोनों स्पाइरल स्ट्रैंड्स को अलग (अनवाइंड) करता है।

यह अनवाइंडिंग जरूरी होती है, क्योंकि यह कोशिका विभाजन और खराब डीएनए को ठीक करने में मदद करती है। RECQL4 प्रोटीन शरीर की कोशिकाओं में जेनेटिक इंफॉर्मेशन को स्थिर करने में मदद करता है और डीएनए के स्वास्थ्य में सुधार करता है।

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रैपाडिलीनो सिंड्रोम कैसे पारित होता है? RAPADILINO Inheritance in Hindi

RAPADILINO सिंड्रोम ऑटोसोमल रिसेसिव पैटर्न के जरिये अगली पीढ़ी में पारित होता है, जिसका मतलब है कि प्रभावित व्यक्ति या बच्चे को उसके माता-पिता दोनों से जीन की खराब प्रतियां मिली हैं। ऑटोसोमल रिसेसिव पैटर्न में आमतौर पर प्रभावित व्यक्ति या बच्चे के माता-पिता में कोई लक्षण या संकेत नहीं दिखते हैं।

रैपाडिलीनो सिंड्रोम का निदान - RAPADILINO diagnosis in Hindi

वैसे तो किसी भी आनुवंशिक या दुर्लभ बीमारी के लिए निदान करना अक्सर चुनौतीपूर्ण हो सकता है। लेकिन ऐसी स्थिति में हेल्थकेयर पेशेवर या डॉक्टर निदान करने के लिए प्रभावित व्यक्ति की मेडिकल हिस्ट्री (चिकित्सक द्वारा पिछली बीमारियों व उनके इलाज से जुड़े प्रश्न पूछना), बीमारी के लक्षण, फिजिकल टेस्ट और लैब टेस्ट के परिणामों की जांच करते हैं।

कोई भी संकेत और लक्षण नोटिस करने के बाद तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।

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रैपाडिलीनो सिंड्रोम का इलाज - RAPADILINO treatment in Hindi

RAPADILINO सिंड्रोम का उपचार लक्षणों के प्रबंधन पर आधारित है। इसमें असामान्यताओं को ठीक करने के लिए सर्जरी भी शामिल है। ऐसा भी हो सकता है कि इसमें एक से ज्यादा सर्जरी करने की जरूरत पड़े।

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