साइकोपैथी - Psychopathy in Hindi

Dr. Suvansh Raj NirulaMBBS

January 13, 2021

January 13, 2021

साइकोपैथी
साइकोपैथी

साइकोपैथी व्यक्तित्व विकार है जिसमें व्यक्ति असामाजिक व्यवहार करने लगता है, दूसरों के प्रति सहानुभूति दिखाने या पछतावा महसूस करने की क्षमता खो देता है और साथ ही उसका व्यवहार आक्रामक और अपमानजनक भी होता है। इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को साइकोपैथ कहते हैं और वह अहंकारी व्यकित्व का होता है। मौजूदा समय में, मनोविकृति संबंधी किसी भी संस्था ने साइकोपैथी के डायग्नोसिस को मंजूरी नहीं दी है लेकिन अदालत में आपराधिक मामलों के दौरान और आम जनता और प्रेस के लोगों के बीच इसका काफी इस्तेमाल होता है। यहां पर ये जानना जरूरी है कि साइकोसिस यानी मनोविकृति और साइकोपैथी के बीच महत्वपूर्ण अंतर है। 
 
साइकोपैथी को ट्राइआर्किक मॉडल के साथ एक चेकलिस्ट के आधार पर परिभाषित किया गया है, जो बताता है कि अलग-अलग डिग्री की तीन विशिष्टताएं हैं जिनमें साइकोपैथी शामिल है। वे विशिष्टताएं हैं-
  • बोल्डनेस (दुःसाहस)- साइकोपैथी के मरीजों में अत्यधिक मात्रा में आत्मविश्वास और सामाजिक हठधर्मिता होती है। आमतौर पर मरीज तनाव और खतरे के प्रति सहनशील होते हैं। एमिग्डाला (केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का हिस्सा) का संबंध डर से होता है।
  • सामाजिक रूप से अनुचित व्यवहार- साइकोपैथी के मरीजों में आवेग या उत्तेजना को नियंत्रित करने की कमी होती है जैसे- किसी तीव्र इच्छा को नियंत्रित करने से जुड़ी समस्या, योजना बनाने में कठिनाई और व्यवहार से जुड़े नियमों का पालन न करना। मस्तिष्क का सामने वाला हिस्सा (फ्रंटल लोब) नियंत्रण और निषेध के लिए जिम्मेदार होता है। 
  • अधम व्यवहार करना- साइकोपैथी के मरीजों में दूसरों के प्रति सहानुभूति दिखाने और नजदीकी और गहरे रिश्ते बनाने का अभाव होता है, वे खुद को सशक्त महसूस कराने के लिए बेहद क्रूर होते हैं, दूसरों का शोषण करने की प्रवृत्ति रखते हैं और उनका स्वभाव विध्वंसकारी या घातक होता है।
साइकोपैथी की समस्या से पीड़ित लोग अलग-अलग जाति, नस्ल और सांस्कृतिक समूह का हिस्सा होते हैं। कुछ शोधों से पता चलता है कि करीब 1 प्रतिशत पुरुष और 0.7 प्रतिशत महिलाओं में साइकोपैथी के लक्षण देखने को मिलते हैं। हालांकि, कई बार मरीजों में साइकोपैथी से जुड़े लक्षण तो नजर आते हैं लेकिन वह साइकोपैथ नहीं होता है।   (और पढ़ें- मानसिक रोग दूर करने के उपाय)

साइकोपैथी के प्रकार - Types of Psychopathy in Hindi

साइकोपैथी 2 प्रकार के होते हैं-
  • प्राइमरी या प्राथमिक साइकोपैथी- इसमें ऐंग्जाइटी यानी चिंता कम होती है और आमतौर पर यह जेनेटिक यानी आनुवांशिक कारणों से होता है।
  • सेकेंडरी साइकोपैथी- इस तरह के साइकोपैथ आमतौर पर बेहद चिंतित या व्याकुल होते हैं और उनकी भावनाएं अस्थिर होती हैं जिनका संबंध वातावरण से जुड़े कारकों से होता है जैसे- उन्हें नजरअंदाज करना या फिर उनके साथ सही तरीके से व्यवहार न किया जाना।

(औऱ पढ़ें- ऐंग्जाइटी का आयुर्वेदिक उपचार)

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साइकोपैथी से जुड़ी बीमारियां - Conditions associated with Psychopathy in Hindi

साइकोपैथी बड़ी संख्या में मानसिक बीमारियों के साथ मौजूद हो सकता है। इसमें निम्नलिखित चीजें शामिल हैं-

साइकोपैथी, सोशियोपैथ और असामाजिक व्यक्तित्व के बीच अंतर - Difference between Psychopathy, Sociopath and Antisocial personality in Hindi

कई बार बहुत से लोग साइकोपैथ और सोशियोपैथ को एक ही समझ लेते हैं और इन दोनों टर्म का इस्तेमाल एक दूसरे के लिए कर लेते हैं। लेकिन इनके बीच अंतर है। सोशियोपैथ ऐसा शख्स होता है जिसमें असामाजिक लक्षण तो होते हैं लेकिन वे केवल सामाजिक और वातावरण से जुड़े कारकों के आधार पर होते हैं जबकि साइकोपैथिक क्लिनिकल विशेषताओं को ज्यादातर जन्मजात या स्वाभाविक माना जाता है। 
 
एंटीसोशल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर (असामाजिक व्यक्तित्व विकार) अक्सर साइकोपैथी के साथ ओवरलैप हो जाता है लेकिन यह जानना जरूरी है कि ये दोनों बीमारियां अलग-अलग हैं। एक रोगी को उपलब्ध कसौटी या मानदंड के आधार पर असामाजिक व्यक्तित्व वाला कहा जा सकता है जो केवल असामाजिक व्यवहार पर केंद्रित है और उसमें साइकोपैथी का सुझाव देने वाले अन्य कोई लक्षण मौजूद नहीं हैं। असामाजिक व्यक्तित्व विकार वाले कुछ ही लोगों को साइकोपैथ माना जाता है।  

साइकोपैथी के लक्षण - Psychopathy Symptoms in Hindi

साइकोपैथी के लक्षण और संकेत निम्नलिखित हैं-
  • कुछ रोगी अत्यधिक षड्यंत्रकारी और स्वार्थी व्यक्तित्व के होते हैं जिन्हें दूसरों की कोई परवाह नहीं होती जबकि अन्य मरीजों में बार-बार अपराध और हिंसक कार्य करने की प्रवृत्ति देखने को मिलती है।
  • इस बारे में अब तक जो अध्ययन हुए हैं उसके मुताबिक, साइकोपैथी का संबंध असामाजिक कार्यों से है जिसमें अपराध और हिंसा भी शामिल है। ऊपर बताए गए ट्राइआर्किक मॉडल के तहत उन मरीजों का स्कोर सबसे अधिक होता है जो बार-बार जेल जाते हैं, नशीली दवाओं का दुरुपयोग करते हैं और उच्च-सुरक्षा वाले डिटेंशन सेंटर में हिरासत में रखे जाते हैं।  (और पढ़ें- नशे की लत)
  • रिसर्च का सुझाव है कि साइकोपैथी की स्कोरिंग और हिंसा के बीच एक मजबूत संबंध है। साइकोपैथी हिंसा का पर्यायवाची नहीं है लेकिन साइकोपैथिक मरीज को अक्सर हिंसक और कोल्ड-ब्लडेड (जिसमें सामान्य इंसानी जज्बात न हों, भावनाओं की कमी हो) आक्रामकता वाला माना जाता है। आंकड़े यह बताते हैं कि साइकोपैथिक मुजरिम जितनी हत्याएं करते हैं उसकी संख्या काफी अधिक है नॉन-साइकोपैथिक अपराधियों द्वारा की गई हत्या की घटनाओं की तुलना में। घरेलू हिंसा को अंजाम देने वाले करीब 30 प्रतिशत लोग साइकोपैथ पाए गए हैं। साइकोपैथी का जो मुख्य लक्षण है कि उसमें पछतावे की भावना नहीं होती और वह नजदीकी या घनिष्ठ संबंध नहीं बना पाता इस वजह से वह घरेलू हिंसा को अंजाम देता है।
  • साइकोपैथी का संबंध यौन अपराध से भी है क्योंकि मरीज में उग्र यौन व्यवहार के संकेत नजर आते हैं। इस बारे में प्रकाशित हो चुके अध्ययनों के मुताबिक, यौन अपराध और बाल उत्पीड़न का मुख्य रूप से संबंध साइकोपैथिक व्यवहार से है।
  • नियोजित अपराध, युद्ध से जुड़ा अपराध और आतंकवाद इन सबका भी संबंध अक्सर साइकोपैथिक व्यवहार से होता है।
  • वे अपने आत्म-सम्मान और आकर्षक व्यक्तित्व का काफी दिखावा करते हैं।
  • ऐसे लोग बिना किसी वजह के बात-बात पर झूठ बोलते हैं और बड़ी जल्दी किसी भी चीज से बोर हो जाते हैं, ऊब जाते हैं।
  • उन्हें अक्सर उत्तेजना की जरूरत होती है और उनकी भावनात्मक प्रतिक्रिया सतही या बेहद कम होती है।
  • उनकी जीवनशैली दूसरों पर निर्भर रहने वाली होती है और बहुत से मरीजों में जीवन के शुरुआती दिनों में ही व्यवहार संबंधी समस्याएं देखने को मिल जाती हैं।
  • ऐसे मरीजों के जीवन में कोई दीर्घकालिक लक्ष्य नहीं होता।
  • इनका वैवाहिक जीवन भी बेहद छोटा होता है और जल्दी ही इनका तलाक हो जाता है।
  • परिवार के लोग इस बीमारी से पीड़ित मरीज के व्यवहार को गैरजिम्मेदार बताते हैं।
  • साइकोपैथ कई तरह के अपराध को अंजाम दे सकता है।

(और पढ़ें - यौन शोषण क्या है)

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साइकोपैथी का कारण - Causes of Psychopathy in Hindi

रिसर्च में ढेरों जेनेटिक और नॉन-जेनेटिक कारकों का पता चला है जो ब्रेन के कार्य करने के तरीके को प्रभावित कर सकते हैं। वैज्ञानिकों ने इस बारे में निष्कर्ष निकालते हुए बताया कि साइकोपैथी आनुवांशिक कारकों और प्रतिकूल सामाजिक परिस्थितियों के बीच परस्पर क्रिया का नतीजा है। 
  • जेनेटिक्स- अध्ययनों से पता चलता है कि जिन मरीजों में साइकोपैथी के लक्षण होते हैं उनमें आनुवांशिक प्रभाव मध्यम श्रेणी का होता है। यह भी बताया गया है कि साइकोपैथी का विकास आनुवांशिक कारकों पर निर्भर है जबकि मरीज में जो लक्षण नजर आते हैं वह मरीज के आसपास मौजूद वातावरण से जुड़ी स्थितियों पर निर्भर करता है।
  • वातावरण- वातावरण से जुड़े कारक जिनकी वजह से किसी व्यक्ति में साइकोपैथी संबंधी व्यवहार देखने को मिलता है, वे हैं-
    • आपराधिक इतिहास वाले माता-पिता का होना
    • बचपन में शारीरिक रूप से उपेक्षा हुई हो या नजरअंदाज किया गया हो
    • पिता के साथ अच्छे रिश्ते न होना
    • ऐसे परिवार में जन्म लेना जहां की आय बेहद कम हो और सामाजिक-आर्थिक स्थिति भी खराब हो
    • परिवार का एकजुट न रहना, परिवार का टूट जाना
    • माता-पिता द्वारा बच्चे पर बिलकुल भी ध्यान न देना
    • अनुशासन के कठोर तरीकों का अनुभव करना
    • परिवार में बहुत अधिक लोगों की मौजूदगी (बड़ा परिवार)
    • आपराधिक इतिहास वाले भाई-बहन का होना
    • ऐसी मां जिनकी उम्र कम हो और जो हर वक्त तनावग्रस्त रहती हो
  • मस्तिष्क की चोट- रिसर्च का सुझाव है कि सिर की चोट और साइकोपैथिक लक्षण जैसे- हिंसा और अपराध को अंजाम देने के बीच भी संबंध है। मस्तिष्क की चोट (जो प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स में लगी हो) की वजह से साइकोपैथी की समस्या हो सकती है जिसकी वजह से व्यक्ति किसी भी तरह के नैतिक निर्णय लेने में अक्षम हो जाता है। इस स्थिति को अधिग्रहित या नकली साइकोपैथी कहते हैं। इन मरीजों में ज्ञात साइकोपैथी के मरीजों जैसा ही व्यवहार देखने को मिलता है। अगर किसी युवा व्यक्ति को ब्रेन में चोट लगी हो तो उसके लक्षण और भी ज्यादा गंभीर हो सकते हैं। कुछ मरीजों में सामाजिक तर्क का विकास नहीं हो पाता और असामाजिक व्यवहार के साथ ही उनमें गंभीर आक्रामकता भी विकसित हो जाती है और उनमें उन लोगों के प्रति पछतावा या सहानुभूति की भावना नहीं होती है जिनके खिलाफ वे अपराध करते हैं।

(और पढ़ें - सिर पर चोट लगने पर क्या करना चाहिए)

साइकोपैथी का निदान - Diagnosis of Psychopathy in Hindi

साइकोपैथी को डायग्नोज करने के विभिन्न तरीके निम्नलिखित हैं-
  • साइकोपैथी चेकलिस्ट, रिवाइज्ड (पीसीएल-आर)- यह निदान के मूल्यांकन का सबसे कॉमन तरीका है। यह क्लेक्ले के मानदंडों पर आधारित है। साइकोपैथी के लक्षणों का आकलन करने के लिए इसे सबसे बेहतरीन (गोल्ड स्टैंडर्ड) तरीका माना जाता है।
  • साइकोपैथिक व्यक्तित्व सूची- यह असामाजिक लक्षणों या आपराधिक कार्यों का उल्लेख करने के बजाय कुछ व्यक्तित्व लक्षणों को क्रमबद्ध करने के लिए विकसित किया गया है। इसमें लगभग 154 अंक शामिल हैं और इसे पीपीआई-आर (2005 में संशोधित) के नाम से जाना जाता है। इसमें निर्भयता, आवेग और कोल्ड-हार्टेडनेस (दूसरों के प्रति दया, संवेदना, सहानुभूति न दिखाना) शामिल है।
  • मानसिक विकारों का निदान और सांख्यिकीय नियमावली (DSM): DSM यानी डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिस्टिकल मैनुअल ऑफ मेंटल डिसऑर्डर, अमेरिकन साइकायट्रिक एसोसिएशन द्वारा स्थापित मानसिक रोगों को वर्गीकृत करने का एक उपकरण है। अब तक चूंकि साइकोपैथी को मान्यता नहीं मिली है, इसलिए इससे मिलती जुलती बीमारी एंटीसोशल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर (एसपीडी असामाजिक व्यक्तित्व विकार) की सहायता से इसका निदान किया जा सकता है।
  • बीमारियों का अंतरराष्ट्रीय वर्गीकरण- यह भी अमेरिकन साइकायट्रिक एसोसिएशन द्वारा स्थापित है और मानसिक बीमारियों को वर्गीकृत करने के लिए इसका भी काफी अधिक इस्तेमाल होता है। अन्य टूल्स में शामिल हैं-
    • मिनेसोटा मल्टीफेसिक (एक से ज्यादा पहलू वाला) व्यक्तित्व सूची
    • कैलिफोर्निया मनोवैज्ञानिक सूची
    • मिलन क्लिनिकल मल्टीएक्सिअल (बहुअक्षीय) सूची
    • असामाजिक व्यक्तित्व विकार पैमाना
    • लेवेंसन सेल्फ-रिपोर्ट साइकोपैथी स्केल
    • हेयर सेल्फ-रिपोर्ट साइकोपैथी स्केल

(और पढ़ें- मानसिक रोग की आयुर्वेदिक दवा)

साइकोपैथी का इलाज - Psychopathy Treatment in Hindi

एक तरह से देखा जाए तो साइकोपैथी एक असाध्य व्यक्तित्व विकार है जिसका इलाज करना बेहद मुश्किल समझा जाता है। ज्यादातर मरीज बीमारी का इलाज करवाना ही नहीं चाहते और अगर उनका इलाज शुरू कर भी दिया जाए तो इलाज में सहयोग नहीं करते। अब तक कोई ज्ञात औषधीय उपचार या थेरेपी मौजूद नहीं है जो साइकौपैथी से जुड़ी समस्याएं जैसे- भावनाओं की कमी और खराब सामाजिक व्यवहार का इलाज कर सके। कुछ मरीज जिन्हें साइकोथेरेपी दी जाती है वे दूसरों के साथ हेराफेरी करने और उन्हें धोखा देने के तरीके सीख लेते हैं और इसलिए उनके द्वारा अपराध को अंजाम दिए जाने की आशंका अधिक होती है।
 
सजा के साथ ही व्यवहार में सुधार या बदलाव जैसी चीजें इस तरह के मरीजों में आमतौर पर प्रभावी नहीं मानी जाती क्योंकि उन्हें किसी भी तरह की सजा या खतरे से कोई फर्क नहीं पड़ता और वे इनके प्रति असंवेदनशील होते हैं। सुधार केंद्रों में इन मरीजों को जो इलाज और थेरेपी दी जाती है उसे इनके असामाजिक और आपराधिक व्यवहार के लिए उत्तरदायी माना जाता है। इलाज के इन तरीकों का उद्देश्य आत्महित, सामाजिक कार्यों और हस्तक्षेपों पर मरीजों का ध्यान केंद्रित करवाना है जो मरीज को किसी तरह का कौशल (स्किल) हासिल करने में मदद करते हैं ताकि वे अपने जीवन के लक्ष्यों को असामाजिक तरीकों से नहीं बल्कि प्रोसोशल यानी सामाजिक और  सही तरीकों से हासिल कर सकें।  
 
सुधार केंद्रों में साइकोपैथी के मरीजों को इनाम-आधारित मैनेजमेंट सिस्टम का हिस्सा बनाया जाता है जहां उन्हें सभ्य व्यवहार करने के बदले में छोटे-छोटे फायदे दिए जाते हैं। साइकोपैथ को आमतौर पर जो दवाइयां दी जाती हैं वे अन्य मानसिक बीमारियों में भी सुधार करने में मदद करती हैं जो साइकोपैथिक मरीजों या अत्यधिक आवेग और आक्रामकता वाले मरीजों में होती हैं।
 
इन दवाइयों में एंटीसाइकोटिक, एंटीडिप्रेसेंट और मूड को स्थिर करने वाली दवाइयां शामिल हैं। यहां ध्यान देना जरूरी है कि अमेरिका के एफडीए की तरफ से साइकोपैथी के इलाज के लिए किसी भी दवा को स्वीकृति नहीं मिली है। क्लोजापिन नाम की एंटीसाइकोटिक दवा ने साइकोपैथी से पीड़ित अस्पताल में भर्ती मरीजों में खराब व्यवहार और असामाजिक व्यक्तित्व विकार में कमी करने में सफलता हासिल की है।
 
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साइकोपैथी का रोगनिदान - Psychopathy Prognosis in Hindi

फॉरेंसिक और क्लिनिकल परिदृश्य में साइकोपैथी के मरीजों का रोगनिदान (प्रॉगनोसिस) बेहद खराब होता है। कुछ आंकड़ों तो यह भी सुझाव देते हैं कि अगर ऐसे मरीजों का इलाज किया जाए तो उनके असामाजिक लक्षण और भी ज्यादा खराब हो जाते हैं। इन दिनों कुछ आधुनिक इलाज मौजूद है जिसकी मदद से साइकोपैथिक मरीजों द्वारा भविष्य में हिंसा और अपराध करने के मामले में कमी देखने को मिली है और इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि इन मरीजों का पीसीएल-आर स्कोर क्या है। इसके अलावा आधुनिक सायकायट्रिक इलाज प्राप्त करने वाले मरीजों में नशीले पदार्थों के सेवन की व्यापकता में भी कमी आने के सबूत मिले हैं।

(और पढ़ें - मनोचिकित्सा क्या है)

साइकोपैथी के मरीजों की वैधता (कानून-सम्मत होने की स्थिति) - Legalities of Psychopathy patients in Hindi

साइकोपैथिक मरीजों के लिए आपराधिक अदालतों में जोखिम और उपचार की क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे कॉमन तरीका पीसीएल-आर है। इस विधि का उपयोग अपराधी (जो मरीज भी है) को जमानत देने, सजा सुनाने, पैरोल देने, किस सुधार केंद्र में उसे भेजा जाए और अगर अपराधी युवा है तो उसे वयस्क मानकर या जूवेनाइल मानकर उस पर केस चले इन सभी बातों का फैसला लेने के लिए किया जाता है। अध्ययन बताते हैं कि पीसीएल-आर विश्वसनीय विधि है बावजूद इसके, इसका उपयोग सावधानी से किया जाना चाहिए।  

साइकोपैथी में लैंगिक असमानता - Gender difference in Psychopathy in Hindi

महिलाओं की तुलना में पुरुषों के साइकोपैथ होने की आशंका अधिक होती है। महिला साइकोपैथ क्लिनिकल लक्षणों के मामले में कुछ अलग हो सकती हैं। उदाहरण के लिए- उनके द्वारा शारीरिक रूप से हिंसा करने की आशंका कम होती है लेकिन ऐसा माना जाता है कि उनका ऐंग्जाइटी लेवल काफी अधिक होता है और उन्हें अपने आत्मविश्वास और आत्म-छवि को लेकर कई तरह की दिक्कतें होती हैं।



संदर्भ

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