व्‍यवहार, भावनाओं, मूड या सोच में नकारात्‍मक बदलाव आने पर मानसिक रोग की स्थिति उत्‍पन्‍न हो सकती है। सामाजिक समस्‍याओं, परिवार या काम से संबंधित दिक्‍कतों या तनाव की वजह से मानसिक रोग हो सकता है। ये विकार न केवल व्‍यक्‍ति के काम को प्रभावित करते हैं बल्कि रिश्‍तों, पारिवारिक जीवन पर भी इसका असर पड़ता है।

आयुर्वेद में मस्तिष्‍क को इंद्रियार्थ और इंद्रियों के बीच का एक पुल माना जाता है जो कि व्‍यक्‍ति के आत्‍म नियंत्रण और इंद्रियों की दिशा के लिए जिम्‍मेदार होता है। आचार्य चरक के अनुसार मानसिक दोष, शारीरिक दोष या इन दोनों दोषों के एक साथ खराब होने पर मनस रोग या मानसिक रोग उत्‍पन्‍न होता है।

मानसिक रोगों के कुछ सामान्‍य कारणों में चित्तोद्वेग (चिंता), उन्‍माद (पागलपन), विषाद (डिप्रेशन) और अनिद्रा शामिल हैं। मानसिक रोग के इलाज एवं मानसिक स्थिति को बेहतर करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार में गैर-हर्बल चिकित्‍साएं जैसे कि सत्वा वजय चिकित्‍सा (मनोरोग के उपाय) के साथ पंचकर्म थेरेपी में से शिरोधारा (सिर के ऊपर तेल या तरल उालने की विधि) और रसायन (शरीर को शक्‍ति प्रदान करने की विधि) की सलाह दी जाती है।

ब्राह्मी, अश्वगंधा और जटामांसी जैसी जड़ी बूटियां दिमाग के लिए टॉनिक की तरह काम करती हैं इसलिए मानसिक रोगों को नियंत्रित करने एवं इनके इलाज में इन जड़ी बूटियों का इस्‍तेमाल किया जा सकता है। हर्बल मिश्रण जैसे कि उन्‍माद गजकेसरी रस, अश्‍वगंधारिष्‍ट, स्‍मृतिसागर रस और सारस्वतारिष्ट भी मानसिक रोगों के इलाज में लाभकारी होता है। स्‍वस्‍थ जीवनशैली, नियमित व्यायामऔर मन लगाकर काम करने से मानसिक रोगों को नियंत्रित एवं इनसे बचने में मदद मिल सकती है।

  1. आयुर्वेद के दृष्टिकोण से मानसिक रोग - Ayurveda ke anusar Mental Disorder
  2. मानसिक बीमारी का आयुर्वेदिक इलाज - Mansik rog ka ayurvedic ilaj
  3. मानसिक रोग की आयुर्वेदिक दवा, जड़ी बूटी और औषधि - Mansik bimari ki ayurvedic dawa aur aushadhi
  4. आयुर्वेद के अनुसार मानसिक रोग होने पर क्या करें और क्या न करें - Ayurved ke anusar Mental Disorder hone par kya kare kya na kare
  5. मानसिक बीमारी में आयुर्वेदिक दवा कितनी लाभदायक है - Mental disorder ka ayurvedic upchar kitna labhkari hai
  6. मानसिक रोग की आयुर्वेदिक औषधि के नुकसान - Mental Disorder ki ayurvedic dawa ke side effects
  7. मानसिक रोग के आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट से जुड़े अन्य सुझाव - Mental Disorder ke ayurvedic ilaj se jude anya sujhav
मानसिक रोग की आयुर्वेदिक दवा और इलाज के डॉक्टर

आयुर्वेद के अनुसार तीन मानसिक दोष होते हैं जैसे कि सत्‍व, रजस और तमस। सत्‍व दोष मस्तिष्‍क की शुद्धता और गुणवत्ता का प्रतीक है, रजस दोष मस्तिष्‍क की गतिशीलता और सक्रियता जबकि तमस दोष अंधकार और निष्‍क्रियता को दर्शाता है। माना जाता है कि अधिकतर मानसिक रोग इन मानसिक भावों के खराब होने पर ही होते हैं।

मानसिक रोगों में मनोरोग, व्यक्तित्व से संब‍ंधित विकार, मनोदैहिक विकार, व्यवहार और तंत्रिका संबंधी समस्याएं एवं मानसिक मंदता शामिल हैं। शोक (दुख), मन (गर्व), भय (डर), क्रोध (गुस्‍सा), उद्वेग (अशांत रहना), अतत्त्वाभिनिवेष (सनक), तंद्रा (सुस्ती), भ्रमि (वर्टिगो – सिर चकराना), ईर्ष्‍या (जलन), मोह और लोभ (लालच) मानसिक रोगों जैसे कि विषाद, चित्तोद्वेग, अनिद्रा, मद और उन्‍माद के लक्षण हैं।

आचार रसायन (आचार संहिता के नियमों का पालन) में मानसिक रोगों को नियंत्रित करने के लिए ध्यान एवं योग, पंचकर्म थेरेपी के साथ सादा भोजन, जड़ी बूटियों और हर्बल मिश्रणों की मदद लेने के लिए प्रेरित किया गया है। आयुर्वेद में मानसिक रोगों के इलाज के लिए दिव्‍य चिकित्‍सा और मनोचिकित्सा की भी सलाह दी जाती है।

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Manamrit Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को तनाव, चिंता और अनिद्रा जैसी समस्याओं में सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Brahmi Tablets
₹899  ₹999  10% छूट
खरीदें
  • विरेचन कर्म
    • पंचकर्म थेरेपी में से एक विरेचन कर्म है जिसमें कड़वी रेचक जड़ी बूटियों जैसे कि सेन्‍ना या रूबर्ब से उल्‍टी करवाई जाती है।
    • जड़ी बूटियां शरीर के विभिन्‍न अंगों जैसे कि पित्ताशय, छोटी आंत और लिवर में जमा अमा को साफ करती हैं।
    • विरेचन का इस्‍तेमाल अनेक रोगों जैसे कि फोड़े, कब्ज, पेचिश, किडनी स्‍टोन और पित्ताशय की पथरी के इलाज में किया जाता है।
    • इसका इस्‍तेमाल प्रमुख तौर पर पित्तज उन्‍माद (खराब पित्त दोष के कारण उत्‍पन्‍न हुआ उन्‍माद) से ग्रस्‍त लोगों में किया जाता है।
    • सिजोफ्रेनिया एवं मनोविकार की स्थिति में स्‍नेहन (तेल लगाने की विधि) और स्‍वेदन (पसीना निकालने की विधि) के बाद शिरोविरेचन किया जाता है।
       
  • शिरोधारा
    • शिरोधारा में औषधीय तेल या क्‍वाथ (काढ़े) को मरीज़ के सिर के ऊपर से डाला जाता है। ये सिर, नाक, कान और गले से संबंधित रोगों के इलाज में मदद करता है। (और पढ़ें - काढ़ा बनाने की विधि)
    • ये बढ़े हुए प्रोस्‍टेट, दमा, डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल, मिर्गीऔर अल्‍सर के इलाज में भी लाभकारी है।
    • चिंता, डिप्रेशन, अनिद्रा और अन्‍य मानसिक रोगों से ग्रस्‍त मरीज़ में शिरोधारा चिकित्‍सा के लिए औषधीय तेलों का उपयोग किया जाता है।

      डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए myUpchar Ayurveda Madhurodh डायबिटीज टैबलेट आपके लिए हैं। इनसे रक्त शर्करा की स्तिथि में सुधार होगा। ऑर्डर करें और स्वस्थ जीवन का आनंद लें!
  • रसायन
    • रसायन चिकित्‍सा में शरीर के सभी सात धातुओं (रस धातु से लेकर शुक्र धातु तक) को साफ और पोषण प्रदान किया जाता है। इसके अलावा शरीर की नाडियों में परिसंचरण को भी बेहतर किया जाता है।
    • इस चिकित्‍सा में प्रयोग होने वाली ऊर्जादायक जड़ी बूटियां ऊतकों को एकजुट होने के लिए बढ़ावा देती हैं और आयु को लंबा करती हैं।
    • जड़ी बूटियां मेध्‍य रसायन या दिमाग के लिए शक्‍तिवर्द्धक के तौर पर कार्य करती हैं। इन जड़ी बूटियों में ब्राह्मी, शंखपुष्पी और अश्‍वगंधा का नाम शामिल है जो कि मस्तिष्‍क के कार्य में सुधार और याददाश्‍त को बढ़ाने का काम करती हैं। (और पढ़ें - याददाश्त बढ़ाने के घरेलू उपाय)
    • रसायन जड़ी बूटियां शरीर को ठीक तरह से कार्य करने में मदद करती हैं और इम्‍युनिटी को भी बढ़ाती हैं।
    • आचार रसायन चिकित्‍सा से दिनचर्या में कुछ बदलाव लाकर और योग की मदद से सेहत में सुधार लाया जाता है। सच बोलने और साफ-सफाई का ध्‍यान रखना भी इसमें शामिल है।
    • आचार्य रसायन में सूखे मेवे, दूध, सेब और बादाम खाने की सलाह दी जाती है। इन खाद्य पदार्थों में सिरोटोनिन, ट्रिप्टोफेन और अन्‍य घटक मौजूद होते हैं जो कि दिमाग के न्यूरोट्रांसमीटर पर काम करते हैं।
       
  • सत्वावजय चिकित्‍सा
    • ये चिकित्‍सा भावनाओं के आहत होने के कारण हुए मानसिक रोगों के इलाज में उपयोगी है।
    • सत्वावजय चिकित्‍सा भावनाओं, सोच और नकारात्‍मक विकारों को नियंत्रित करने में मदद करती है।
    • ये आत्‍म ज्ञान, कुल ज्ञान (परिवार के प्रति जिम्‍मेदारियों का अहसास), शक्‍ति ज्ञान (आत्‍म–क्षमता के बारे में पता होना), बल ज्ञान (अपनी शक्‍ति का पता होना) और कल ज्ञान (मौसम के हिसाब से परहेज़ करने और मौसम का ज्ञान होना) को बढ़ाती है।
    • आयुर्वेद के अनुसार, ये चिकित्‍सा सेहत और ज्ञान के बीच संतुलन में सुधार लाकर मानसिक रोगों के इलाज में मदद करती है।

मानसिक रोगों के लिए आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां

  • ब्राहृमी
    • आयुर्वेद में ब्राह्मी को दिमाग के टॉनिक के रूप में भी जाना जाता है। ब्राह्मी से दिमाग की कोशिकाओं को ऊर्जा मिलती है।
    • ये याददाश्‍त में सुधार लाती है और इस वजह से याददाश्‍त कमजोर होने से संबंधित मानसिक रोगों के इलाज में ब्राह्मी असरकारी होती है। (और पढ़ें - याददाश्त बढ़ाने के घरेलू उपाय)
    • आप ब्राह्मी को क्‍वाथ, अर्क, घी, घी के साथ पाउडर के रूप में या डॉक्‍टर के बताए अनुसार ले सकते हैं।
       
  • अश्‍वगंधा
    • अश्‍वगंधा दिमाग के लिए शक्‍तिवर्द्धक के रूप में काम करती है और ये इम्‍युनिटी को बढ़ाने वाली जड़ी बूटी है। इसमें एंटी-एजिंग (बढ़ती उम्र के निशान दूर करने) गुण होते हैं और ये नकारात्‍मक विचारों को दूर करती है। अश्‍वगंधा हार्मोन को पुर्नजीवित करने और कमजोर एवं दुर्बल व्‍यक्‍ति की सेहत में सुधार लाने में मदद करती है।
    • ये अनिद्रा, चिंता, न्‍यूरोसिस (बहुत दुखी रहना), बाइपोलर डिसआर्डर और डिजनरेटिव सेरेबेलर अटेक्सिया के इलाज में उपयोगी है।
    • आप अश्‍वगंधा को पाउडर या घी, तेल, क्‍वाथ आसव के रूप में या डॉक्‍टर के बताए अनुसार ले सकते हैं।
       
  • जटामांसी
    • खट्टे-मीठे स्‍वाद वाली जटामांसी में सुगंधक, ऐंठन-रोधी और खून को साफ करने वाले गुण होते हैं। (और पढ़ें - खून साफ करने के घरेलू उपाय)
    • ये मानसिक तनाव और चिंता को कम करने में मदद करती है।
    • शामक (नींद लाने वाली) और दिमाग को शक्‍ति देने वाले गुणों से युक्‍त ये जड़ी बूटी अनेक मानसिक विकारों जैसे कि हिस्‍टीरिया, मिर्गी, अनिद्रा और सिजोफ्रेनिया के इलाज में उपयोगी है
    • आप जटामांसी को पाउडर या अर्क के रूप में या चिकित्‍सक के बताए अनुसार ले सकते हैं।
       
  • हरिद्रा (हल्‍दी)
    • हरिद्रा में पाचक, जीवाणु-रोधी, वायुनाशक (पेट फूलने से राहत), उत्तेजक, सुगंधक और कृमिनाशक गुण होते हैं।
    • आमतौर पर हरिद्रा त्‍वचा विकारों, मूत्राशय रोगों और सूजन से संबंधित समस्‍याओं के इलाज में उपयोगी है। ये पेट में गट फ्लोरा को भी बेहतर करती है।
    • हरिद्रा शरीर को दिव्‍य ऊर्जा प्रदान करती है और मिर्गी एवं अल्जाइमर रोग के इलाज में उपयोगी है।
    • आप हरिद्रा को क्‍वाथ, अर्क, पाउडर या चिकित्‍सक के निर्देशानुसार ले सकते हैं।
       
  • सर्पगंधा
    • सर्पगंधा हाई ब्‍लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए इस्‍तेमाल की जाती है।
    • ये उन्‍मांद और हिंसक दौरों को कम करने में मदद करती है।
    • सर्पगंधा केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर कार्य करती है और अनिद्रा एवं सिजोफ्रेनिया के इलाज में सहायक है।
    • ये तनाव को भी कम करती है। (और पढ़ें - तनाव दूर करने के घरेलू उपाय)
    • आप सर्पगंधा को गोली, क्‍वाथ, पाउडर के रूप में या चिकित्‍सक के बताए अनुसार ले सकते हैं।
       
  • शंखपुष्‍पी
    • शंखपुष्‍पी का इस्‍तेमाल अनिद्रा और उलझन के इलाज में मेध्‍य (दिमाग के लिए शक्तिवर्द्धक) के रूप में किया जाता है।
    • शंखपुष्‍पी में याददाश्‍त बढ़ाने वाले तत्‍व होते हैं इसलिए इसे दिमाग के टॉनिक के रूप में भी जाना जाता है।
    • शंखपुष्‍पी में मौजूद फाइटो-घटक कोर्टिसोल के स्‍तर को भी कम करते हैं जिससे तनाव में कमी आती है।
       
  • गुडूची
    • कड़वे स्‍वाद वाली गुडूची में मूत्रवर्द्धक गुण होते हैं।
    • ये जड़ी बूटी वात, पित्त और कफ दोष वाले व्‍यक्‍ति में इम्‍युनिटी मजबूत करने में लाभकारी है।
    • ये शरीर में ओजस (जीवन के लिए महत्‍वपूर्ण तत्‍व) को बढ़ाती है। इसलिए मानिसक विकारों के इलाज में गुडूची उपयोगी है।
    • गुडूची अनेक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं जैसे कि गठिया, पीलिया, बवासीर, पेचिश और त्‍वचा रोगों के इलाज में मदद करती है।
    • गुडूची को रस या पाउडर के रूप में या डॉक्‍टर के बताए अनुसार ले सकते हैं।

मानसिक रोग के लिए आयुर्वेदिक औषधियां

  • सारस्वतारिष्ट
    • सारस्वतारिष्ट एक हर्बल मिश्रण है जिसे 23 हर्बल सामग्रियों जैसे कि अश्‍वगंधा, शहद, चीनी, गुडूची, संसाधित स्‍वर्ण और शतावरी से तैयार किया गया है।
    • ये औषधि याददाश्‍त और मानसिक शांति में सुधार कर मानसिक रोगों के इलाज में मदद करती है।
    • भय (डर) और हकलाहट के इलाज में भी इसकी सलाह दी जाती है।
    • आप सारस्वतारिष्ट को दूध के साथ या डॉक्‍टर के निर्देशानुसार ले सकते हैं।
       
  • अश्‍वगंधारिष्‍ट
    • अश्‍वगंधा, इलायची, हल्‍दी, मुलेठी, वच और 28 अन्‍य सामग्रियों से अश्‍वगंधारिष्‍ट हर्बल मिश्रण को तैयार किया गया है।
    • ये औषधि ताकत और शारीरिक मजबूती को बढ़ाने में उपयोगी है।
    • मिर्गी और अनिद्रा के इलाज में अश्‍वगंधारिष्‍ट का इस्‍तेमाल किया जाता है। ये रुमेटिज्‍म और ह्रदय संबंधित समस्‍याओं के इलाज में भी लाभकारी है।
       
  • स्‍मृति सागर रस
    • इस रस को पारद, ताम्र (तांबा) और गंधक में ब्राह्मी रस, वच क्‍वाथ और ज्योतिष्मती तेल मिलाकर तैयार किया गया है।
    • ये औषधि प्रमुख तौर पर मानसिक विकारों में लाभकारी होती है।
    • ये अपस्मार (मिर्गी) को कम करने और याददाश्‍त बढ़ाने में मदद करता है।
       
  • उन्माद गजकेशरी रस
    • इस रस को पारद, गंधक, धतूरे के बीजों और मनशिला से तैयार किया गया है। उपयोग से पहले इस मिश्रण में रसना क्‍वाथ और वच क्‍वाथ मिलाया जाता है।
    • उन्माद गजकेशरी रस उलझन और पागलपन के इलाज में सबसे ज्‍यादा असरकारी होता है।
       
  • ब्राह्मी घृत
    • इस मिश्रण को 12 जड़ी बूटियों से बनाया गया है जिसमें त्रिकटु (पिप्पली, शुंथि [सोंठ] और मारीच [काली मिर्च] का मिश्रण), आरग्‍वध और ब्राह्मी शामिल हैं।
    • ब्राह्मी घृत दौरे, फोबिया, उन्‍माद, डिप्रेशन और मिर्गी के इलाज में उपयोगी है।
    • ये स्‍मरण शक्‍ति और एकाग्रता में सुधार लाता है। (और पढ़ें - दिमाग तेज करने के घरेलू उपाय)
    • ब्राह्मी घृत नींद में पेशाब करने और हकलाहट को भी दूर करने में मदद करता है। (और पढ़ें - पेशाब न रोकने के कारण)

व्‍यक्‍ति की प्रकृति और कई कारणों के आधार पर चिकित्‍सा पद्धति निर्धारित की जाती है। उचित औषधि और रोग के निदान हेतु आयुर्वेदिक चिकित्‍सक से परामर्श करें।

Rosemary Essential Oil
₹399  ₹450  11% छूट
खरीदें

क्‍या करें

  • सात्‍विक और संतुलित आहार का पालन करें।
  • केला, शतावरी, लाल चावल, पिस्ता, गाजर, दूध, चकोतरा, सेब, बादाम, लहसुन, ब्रोकली, अनानास और सूखे मेवे खाएं।
  • मौसमी फलों का सेवन करें।
  • अपने आसपास, घर और वाहनों में साफ-सफाई का ध्‍यान करें।
  • नियमित व्‍यायाम करें।
  • अपने परिवार के लिए जीने की कोशिश करें।
  • काम में मन लगाएं।
  • योग (खासतौर पर पद्मासन), मंत्र उच्‍चारण और ध्‍यान से एकाग्रता में सुधार होगा।

क्‍या न करें

  • झूठ ना बोलें।
  • हिंसक विचारों और कामों से दूर रहें।

मस्तिष्‍क के कार्य पर ब्राह्मी के प्रभाव की जांच के लिए एक अध्‍ययन किया गया। इस अध्‍ययन में ये साबित हुआ कि ब्राह्मी बौद्धिक क्षमता को बढ़ाती है और मानसिक विकारों के लक्षणों को दूर करने में मदद करती है।

अल्‍जाइमर के इलाज में पौधों से मिलने वाले तत्‍वों के प्रभाव का पता लगाने के लिए एक अन्‍य स्‍टडी में पाया गया कि ब्राहृमी के फाइटो-घटक जैसे कि बैकोसाइड और फ्लेवोन ग्लाइकोसाइड में सूजन-रोधी, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को सुरक्षा देने, एमिलॉइड-रोधी, एंटीऑक्सीडेंट और बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने वाले गुण होते हैं। इसलिए ये अल्‍जाइमर रोग से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति में लाभकारी साबित हुई।

कुछ पौधों जैसे कि जटामांसी के चिकित्‍सकीय प्रभावों की जांच के लिए हुई एक स्‍टडी में पाया गया कि जटामांसी में एंटी-ऑक्‍सीडेंट और कोलीनेस्टेरेस-रोधी गुण होते हैं जिसकी वजह से ये बौद्धिक क्षमता में सुधार लाने में मदद कर सकती है।

वर्ष 2016 में गुडूची स्‍वरस के चिकित्‍सकीय प्रभाव की जांच के लिए एक अध्‍ययन किया गया। विभिन्न प्रयोगशाला प्रक्रियाओं के दौरान ये बात सामने आई कि गुडूची मस्तिष्‍क में डोपामाइन के स्‍तर को कम करती है और सेरोटोनिन के लेवल को बढ़ाती है जिससे मूड बेहतर होता है एवं ड्रिपेशन में कमी आती है।

(और पढ़ें - डिप्रेशन के कारण)

अनुभवी चिकित्‍सक की देख-रेख में आयुर्वेदिक औषधियां और उपचार लेना सुरक्षित रहता है। हालांकि, व्‍यक्‍ति की प्रकृति और दोष के आधार पर कुछ जड़ी बूटियों और उपचार के दुष्‍प्रभाव हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर,

  • टीबी, दस्त, अल्‍सर, खराब पाचन और हाल ही में बुखार से ठीक हुए व्‍यक्‍ति पर विरेचन नहीं करना चाहिए। यूट्रेस प्रोलैप्‍स या पाचन तंत्र में प्रोलैप्‍स होने पर विरेचन लेना हानिकारक साबित हो सकता है। कमजोर और वृद्ध व्‍यक्‍ति पर भी विरेचन कर्म का इस्‍तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • ब्राह्मी की अधिक खुराक लेने की वजह से खुजली, सिरदर्द की समस्‍या हो सकती है।
  • कफ जमने की स्थिति में अश्‍वगंधा नहीं लेना चाहिए।
  • जटामांसी से नींद और सुस्‍ती आ सकती है इसलिए आयुर्वेदिक चिकित्‍सक की देख-रेख में ही इसका सेवन करें।
  • पित्त स्‍तर के अत्‍यधिक बढ़ने पर हरिद्रा नहीं लेनी चाहिए।
Ashwagandha Tablet
₹359  ₹399  10% छूट
खरीदें

आधुनिक जीवनशैली के साथ खानपान से संबंधित गलत आदतों और अधिक तनाव के कारण मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य बिगड़ सकता है। मानसिक रोग में सबसे सामान्‍य समस्‍याओं में अनिद्रा, डिप्रेशन, चिंता, सिजोफ्रेनिया और अल्‍जाइमर रोग शामिल हैं।

आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों और मिश्रणों से याददाश्‍त और बौद्धिक क्षमता में सुधार लाया जाता है एवं न्‍यूरो डिजेनरेटिव की समस्‍याओं के लक्षणों को भी दूर किया जाता है। आयुर्वेद में मानसिक शांति और ज्ञान की प्राप्‍त के लिए मनोचिकित्‍सा की मदद भी ली जाती है। आयुर्वेदिक उपचार के साथ ध्‍यान और योग करने से मानसिक और शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार आता है।

Dr Bhawna

Dr Bhawna

आयुर्वेद
5 वर्षों का अनुभव

Dr. Padam Dixit

Dr. Padam Dixit

आयुर्वेद
10 वर्षों का अनुभव

Dr Mir Suhail Bashir

Dr Mir Suhail Bashir

आयुर्वेद
2 वर्षों का अनुभव

Dr. Saumya Gupta

Dr. Saumya Gupta

आयुर्वेद
1 वर्षों का अनुभव

संदर्भ

  1. Shirolkar A. Guduchi Sawras (Tinospora cordifolia): An Ayurvedic drug treatment modulates the impaired lipid metabolism in alcoholics through dopaminergic neurotransmission and anti-oxidant defense system. Biomed Pharmacother. 2016 Oct;83:1265-1277. PMID: 27567586
  2. Mathew M, Subramanian S. In vitro screening for anti-cholinesterase and antioxidant activity of methanolic extracts of ayurvedic medicinal plants used for cognitive disorders. PLoS One. 2014 Jan 23;9(1):e86804. PMID: 24466247
  3. Apetz N et al. Natural compounds and plant extracts as therapeutics against chronic inflammation in Alzheimer's disease--a translational perspective. CNS Neurol Disord Drug Targets. 2014;13(7):1175-91. PMID: 25230232
  4. Piyabhan P, Wetchateng T, Sireeratawong S. Cognitive enhancement effects of Bacopa monnieri (Brahmi) on novel object recognition and NMDA receptor immunodensity in the prefrontal cortex and hippocampus of sub-chronic phencyclidine rat model of schizophrenia. J Med Assoc Thai. 2013 Feb;96(2):231-8. PMID: 23936991
  5. Oushadhi Panchakarma Hospital And Research Centre [Internet]: Thrissur; Govt of Kerala. Lehyams & Ghrithams.
  6. Oushadhi Panchakarma Hospital And Research Centre [Internet]: Thrissur; Govt of Kerala. Asavams and Arishtams.
  7. American Psychiatric Association [internet] St. NE, Washington, DC. What Is Mental Illness?.
  8. Swami Sadashiva Tirtha. The Ayurveda Encyclopedia: Natural Secrets to Healing, Prevention, and Longevity. Sat Yuga Press, 2007 - Body, Mind & Spirit .
  9. Subhash Ranade. Kayachikitsa: A Text Book of Medicine. Chaukhamba Sanskrit Pratishthan, 2001 - Medicine, Ayurvedic
  10. Kumaar Dileep et al. Ayurvedic Formulations For The Management of Psychotic Disorders.. International Journal of Research in Ayurveda and Pharmacy . 3(5) Sep-Oct 2012
ऐप पर पढ़ें