कुपोषण एक गंभीर समस्या है यह तब होती है, जब व्यक्ति के आहार में पोषक तत्वों की सही मात्रा नहीं होती है। भोजन व्यक्ति को स्वस्थ रखने के लिए ऊर्जा और पोषक तत्व प्रदान करता है लेकिन यदि भोजन से उचित प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन और खनिजों सहित पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिलते तो यह कुपोषण का रूप ले सकता है।

कम शब्दों में कहें तो, शरीर में पोषण असंतुलन की स्थिति को कुपोषण कहते हैं। कई बार कैलोरी और कुछ पोषक तत्वों की आवश्यक से ज्यादा मात्रा हो जाने से भी यह स्थिति जन्म ले सकती है। इस (कुपोषण) शब्द का उपयोग अक्सर उन लोगों के लिए भी किया जाता है जो अल्पपोषित हैं।

यह समस्या ज्यादातर ऐसी जगहों पर पाई जाती है, जहां भोजन और स्वच्छ पेयजल की पर्याप्त मात्रा नहीं है। विकासशील देशों में रहने वाली शहरी आबादी और विकसित देशों में कम आय वाले समूहों के बीच यह समस्या होना आम बात है। फिलहाल असंतुलित आहार के अलावा, चिकित्सीय स्थिति जैसे मलएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम भी कुपोषण का कारण हो सकता है।

कुल मिलाकर कुपोषण एक गंभीर स्वास्थ्य स्थिति है, जिसका तुरंत और पूरी तरह से इलाज किया जाना चाहिए। कुपोषण से ग्रस्त लोग आमतौर पर वजन कम होना, थकान और चक्कर आने का अनुभव करते हैं। हालांकि, कुछ लोगों में कोई लक्षण नहीं होता है। गंभीर कुपोषण के लक्षणों में एनर्जी कम होना, पेट व पैरों में सूजन और छोटा कद शामिल है।

प्रमाणित उपचार विधियों का लक्ष्य कुपोषण के अंतर्निहित कारणों का इलाज करना है। होम्योपैथिक उपचार एक समान आधार पर काम करता है और कुपोषण के कारणों को ठीक करने में मदद करता है। होम्योपैथी का कोर्स करते समय जीवनशैली में कुछ बदलाव व आहार में परिवर्तन करने की सलाह दी जाती है।

इसके अतिरिक्त कुपोषण के लिए होम्योपैथिक उपचार में कमजोरी को ठीक करने पर भी ध्यान केंद्रित किया जाता है। कुपोषण का इलाज करने के लिए उपयोग किए जाने वाले कुछ सामान्य उपाय हैं - एब्रोटेनम, एसिटिकम एसिडम, आर्सेनिकम एल्बम, बैराइटा कार्बोनिका, कैल्केरिया कार्बोनिका, कैल्केरिया फॉस्फोरिका, हेपर सल्फर, हाइड्रैस्टिस कैडेनसिस और आयोडियम।

  1. कुपोषण के लिए होम्योपैथिक दवाएं - Kuposhan ke liye homeopathic medicine
  2. होम्योपैथी के अनुसार कुपोषण के रोगी के लिए आहार और जीवन शैली में बदलाव - Kuposhan ke liye khan pan aur jeevan shaili me badlav
  3. कुपोषण के लिए होम्योपैथिक दवाएं और उपचार कितने प्रभावी हैं - Kuposhan ki homeopathic medicine kitni effective hai
  4. कुपोषण के लिए होम्योपैथिक दवा के दुष्प्रभाव और जोखिम - Kuposhan ke liye homeopathic medicine ke nuksan
  5. कुपोषण के होम्योपैथिक उपचार से संबंधित टिप्स - Kuposhan ke liye homeopathic treatment se jude tips

एब्रोटेनम
सामान्य नाम :
साउदर्नवुड
लक्षण : एब्रोटेनम को ऐसे व्यक्तियों के लिए अच्छा उपाय माना जाता है जो मरैज्मस (कुपोषण का गंभीर रूप) से ग्रस्त हैं। यह निम्नलिखित लक्षणों को कम करने में भी मदद करता है :

  • लगातार भूख लगना
  • भले ही व्यक्ति की भूख अच्छी हो, लेकिन तब भी पतला व कमजोर महसूस करना
  • रात में पेट में दर्द चुभन वाला दर्द होना
  • अपच
  • बिना पचा हुआ भोजन मल के जरिये त्याग करना
  • मुंह में लसलसापन
  • मुहासे व चेहरा पतला होना

ठंडी हवा में यह लक्षण बदतर हो जाते हैं, जबकि घूमने से इनमें सुधार होता है।

एसिटिकम एसिडम
सामान्य नाम :
ग्लेशियल एसिटिक एसिड
लक्षण : यह उपाय शरीर से कमजोर लोगों के लिए सबसे उपयुक्त है। यह निम्नलिखित लक्षणों को कम करके कुपोषण का इलाज करने में सहाय​क है :

  • पेट से आवाज आना
  • पेट का कैंसर
  • खट्टी डकारें आना
  • उल्टी
  • अत्यधिक लार आना (अपच के कारण अचानक लार गिरना)
  • हाइपरक्लोरहाइड्रिया (पेट में गैस्ट्रिक एसिड सामान्य से अधिक होना)
  • गैस्ट्रालजिया (पेट या ऊपरी पेट में दर्द)
  • छाती और पेट में तेज जलन, इसके बाद में त्वचा में ठंडक और माथे पर ठंडा पसीना आना
  • अल्सर की तरह पेट में जलन होना
  • किसी भी चीज का सेवन करने के बाद उल्टी होना
  • कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन करने पर गैस संबंधित समस्याएं होना
  • पेट में जलन के साथ तेज प्यास लगना
  • कमजोरी व चेहरा पीला पड़ना

आर्सेनिकम एल्बम
सामान्य नाम :
आर्सेनिक एसिड, आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड
लक्षण : यह उपाय उन लोगों के लिए सबसे उपयुक्त है जो थोड़ी सी भी गतिविधि के बाद बेहद थका हुआ महसूस करते हैं। वे अपने व्यवहार में चिड़चिड़ापन, कमजोरी और जलन का भी अनुभव करते हैं। आर्सेनिकम एल्बम निम्नलिखित लक्षणों को कम करके कुपोषण के इलाज में मदद करता है :

  • भोजन की गंध महसूस करने में असमर्थता
  • अत्यधिक प्यास लगना। हालांकि, इस स्थिति में व्यक्ति एक बार में थोड़ी मात्रा में पानी नहीं पी सकता है
  • पेट में जलन और दर्द
  • कॉफी, दूध और अम्लीय भोजन करने की इच्छा
  • जब भी व्यक्ति कुछ खाता या पीता है तो मतली व उल्टी
  • पेट में गड़बड़ी
  • लंबे समय तक प्रभावित करने वाला दर्द
  • पेट में जलन
  • हरा बलगम, पित्त या खून निकलना
  • अम्लीय भोजन, आइसक्रीम या बर्फ का ठंडा पानी पीने पर अपच की समस्या
  • हल्का भोजन करने के बाद भी पेट में समस्या
  • पेट में दर्द के साथ-साथ थकान व शरीर में तेज ठंडक का अहसास
  • ऐसा महसूस होना जैसे कुछ भी निगला हुआ फंस गया है। 

ठंडी या नम मौसम में ठंडे भोजन या पेय का सेवन करने और आधी रात को लक्षण बदतर हो जाते हैं। सामान्य रूप से गर्म वातावरण और गर्म पेय लेने के बाद या सिर को थोड़ा ऊंचा रखने पर व्यक्ति बेहतर महसूस करता है।

बैराइटा कार्बोनिका
सामान्य नाम :
कार्बोनेट ऑफ बैराइटा
लक्षण : यह उपाय शिशुओं, बूढ़े लोगों और उन लोगों के लिए सबसे उपयुक्त है, जिन्हें अक्सर टॉन्सिल में सूजन की समस्या होती है। यह निम्नलिखित लक्षणों का इलाज करने में मदद करता है :

  • वाटर ब्रैश (जब कोई व्यक्ति अधिक मात्रा में लार का उत्पादन करता है तो मुंह की लार पेट के एसिड के साथ मिल जाती है और गले में समस्या हो जाती है)
  • हिचकी
  • गर्म भोजन करने के बाद पेट के ऊपर दाएं हिस्से में छूने पर दर्द होना
  • भोजन करने के बाद पेट में भार व दर्द महसूस करना
  • वृद्ध लोगों में गैस संबंधी समस्याएं

यह सभी लक्षण दर्द वाले हिस्से के बल लेटने और अपनी बीमारी के बारे में अत्यधिक सोचने पर बढ़ जाते हैं। खुली हवा में निकलने पर इन लक्षणों में सुधार होता है।

कैल्केरिया कार्बोनिका
सामान्य नाम :
कार्बोनेट ऑफ लाइम
लक्षण : कैल्केरिया कार्बोनिका निम्नलिखित लक्षणों को कम करके कुपोषण के इलाज में मदद करता है :

  • पेट में जलन
  • जोर से व खट्टी डकार आना
  • बहुत अधिक मेहनत करने के बावजूद भूख कम लगना
  • ठंडा पानी पीने और प्रभावित हिस्से पर दबाव डालने पर पेट में ऐंठन
  • भूख, जिसमें संतोष न हो
  • दूध पसंद न करना
  • पेट के ऊपरी हिस्से में छूने पर दर्द होना
  • अतिजठराम्लता (पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड का अत्यधिक स्राव)

यह लक्षण ठंड और नमी वाले मौसम में, थकावट से, खड़े होने पर और पूर्णिमा के दौरान खराब हो जाते हैं। जबकि छींकने, शुष्क मौसम में, दर्द वाले हिस्से के बल लेटने पर इनमें राहत मिलती है।

कैल्केरिया फॉस्फोरिका
सामान्य नाम :
फॉस्फेट ऑफ लाइम
लक्षण : कैल्केरिया फॉस्फोरिका एनीमिया से गस्त उन बच्चों के लिए सबसे उपयुक्त है, जिनका पाचन कमजोर और व्यवहार चिड़चिड़ा होता है। यह उन शिशुओं को भी दिया जाता है, जिन्हें बार-बार उल्टी आ जाती है। यह उपाय निम्नलिखित लक्षणों को कम करके कुपोषण के इलाज में मदद करता है :

  • अत्यधिक गैस करना
  • अत्यधिक गैस की समस्या व तेज भूख-प्यास लगना, जिसमें खट्टी डकार से राहत मिलती है।
  • पेट में जलन
  • उल्टी, खासकर बच्चों में

यह लक्षण ठंड और नम मौसम में खराब हो जाते हैं, जबकि गर्म और शुष्क वातावरण और गर्मियों में इन लक्षणों से राहत मिलती है।

हेपर सल्फर
सामान्य नाम :
हैनिमैन कैल्शियम सल्फाइड
लक्षण : यह उपाय ऐसे लोगों के लिए उपयुक्त है, जिन्हें अक्सर झनझनाहट महसूस होती है जैसे कि उनके शरीर के किसी हिस्से पर हवा चल रही हो। यह निम्नलिखित लक्षणों को कम करके कुपोषण का इलाज करने में असरदार है :

  • वसायुक्त खाद्य पदार्थों को पसंद न करना जबकि तेज गंध वाले, अम्लीय खाद्य पदार्थों और शराब के सेवन की इच्छा करना
  • बिना गंध या स्वाद के बार-बार डकार आना
  • पेट का बढ़ना
  • पेट में जलन
  • कम या हल्का भोजन करने के बाद भी पेट में दबाव व भारीपन महसूस करना

यह सभी शिकायतें ठंडी और शुष्क हवाओं में, दर्द वाले हिस्से के बल लेटने पर बदतर हो जाते हैं। जबकि नम मौसम, भोजन के बाद, गर्म वातावरण में और जब व्यक्ति अपना सिर लपेटता है तो इनमें सुधार होता है।

हाइड्रैस्टिस कैडेनसिस
सामान्य नाम :
गोल्डन सील
लक्षण : यह उपाय उन लोगों में ज्यादातर असरदार है, जिन्हें म्यूकस मेंब्रन (नाक, आंख और मुंह जैसे अंगों की अंदरूनी परत) से मोटे व पीले रंग के स्राव की समस्या होती है। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों को ठीक करके कुपोषण के इलाज में भी सहायता करता है।

  • पेट की मांसपेशियां कमजोर होने के कारण पाचन कमजोर होना। इसमें व्यक्ति सब्जी या ब्रेड खाने में असमर्थ हो जाता है।
  • पेट में लगातार दर्द की समस्या
  • पेट में खालीपन लगना
  • पेट के ऊपरी और दाईं तरफ धमक वाला दर्द या वाइब्रेट होना
  • पेट का कैंसर
  • पेट में अल्सर
  • पेट की अंदरूनी परतों में सूजन

आयोडियम
सामान्य नाम :
आयोडीन
लक्षण : आयोडीन उन लोगों के लिए सबसे उपयुक्त है जो शारीरिक रूप से बहुत कमजोर हैं और थोड़ा सा काम करने के बाद पसीना आ जाता है। यह निम्नलिखित लक्षणों को कम करके कुपोषण का इलाज करने में मदद करता है :

  • अत्यधिक भूख और प्यास
  • किसी समय का भोजन न कर पाने पर परेशान होना
  • स्वस्थ आहार लेने के बाद भी व्यक्ति का वजन कम होना
  • पेट में धमक जैसी झनझनाहट

यह लक्षण तब और खराब हो जाते हैं, जब व्यक्ति शांत होता है, गर्म वातावरण में रहता है और दाहिनी तरफ करवट लेकर लेटता है। हालांकि, खुली हवा में चलने के बाद इन लक्षणों में सुधार होता है।

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एक स्वस्थ जीवन शैली जीने से न केवल समग्र स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि यह होम्योपैथिक उपचार की कार्रवाई को भी बढ़ावा देता है, जिससे व्यक्ति पुन: स्वस्थ हो सकता है। होम्योपैथिक चिकित्सा के जनक डॉ. हैनिमैन ने होम्योपैथिक दवाओं से संपूर्ण चिकित्सीय लाभ प्राप्त करने और अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए जीवनशैली में निम्नलिखित बदलाव करने की सलाह दी है :

क्या करना चाहिए

  • अपने आहार में पौष्टिक खाद्य पदार्थों को शामिल करें।
  • साफ-सफाई वाले वातावरण में रहें
  • एक सक्रिय जीवन शैली का पालन करें।

क्या नहीं करना चाहिए

  • तेज गंध वाली कॉफी, हर्बल चाय, औषधीय जड़ी बूटियों और मसालों से तैयार चीजों का सेवन न करें।
  • शारीरिक और मानसिक थकान से बचें।
  • उदासी और क्रोध जैसी नकारात्मक भावनाओं से खुद को दूर रखें।

होम्योपैथी के समग्र सिद्धांतों (होलिस्टिक प्रिंसिपल) के अनुसार, पोषण संबंधी विकार न केवल पोषक तत्वों की कमी के कारण होते हैं, बल्कि भोजन को अवशोषित और आत्मसात करने में शरीर की अक्षमता के कारण भी होते हैं। ऐसे में होम्योपैथिक उपचार शरीर की प्रणालियों को भोजन से पोषक तत्वों का उपयोग करने में सक्षम बनाते हैं। इसके अलावा होम्योपैथी उपचार लंबे समय तक राहत प्रदान करता है।

हालांकि, कुपोषण के लिए होम्योपैथिक दवाओं के लाभों का अधिक पुष्टिकरण प्रमाण नहीं है, फिर भी कुछ अध्ययन हैं जो ये बताते हैं कि इन उपचारों के जरिए कुपोषण में मदद मिल सकती है।

भारत में किए गए एक पायलट स्टडी (छोटे पैमाने पर किया गया एक शुरुआती अध्ययन, जिसमें मुख्य अध्ययन के महत्वपूर्ण घटकों की जांच की जाती है) से पता चला है कि होम्योपैथिक उपचार एक से चार वर्ष की आयु के बच्चों में कुपोषण के इलाज में प्रभावी हैं, खासकर जब आहार और जीवन शैली में उचित बदलाव कर लिए जाए।

इंडियन जर्नल ऑफ रिसर्च इन होम्योपैथी में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि अल्फाल्फा का उपयोग कुपोषण के साथ-साथ एनीमिया, सिरदर्द, बुखार, अवसाद और सुस्ती जैसी कुछ अन्य स्थितियों के लिए किया जा सकता है।

होम्योपैथिक दवाइयां पूरी तरह से प्राकृतिक पदार्थों से अत्यंत घुलनशील रूप में तैयार की जाती हैं। इसलिए इन दवाइयों का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। चूंकि ये दवाएं कम खुराक में ली जाती हैं, इसलिए इन्हें बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित माना जाता है। हालांकि, होम्योपैथिक उपचार हमेशा होम्योपैथिक डॉक्टर के अनुसार ही लेना चाहिए तभी इनका सर्वोत्तम लाभ मिल सकेगा।

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कुपोषण शब्द का प्रयोग पोषक तत्वों की कमी और पोषक तत्वों की अधिकता दोनों के लिए किया जाता है। यह एक ऐसी गंभीर स्थिति है, जिसमें तुरंत उपचार की जरूरत होती है। होम्योपैथिक उपचार के जरिए भूख में सुधार, पाचन समस्याओं को ठीक करने और रोगी के समग्र स्वास्थ्य का ध्यान रखा जा सकता है। होम्योपैथिक उपचार कुपोषण को ठीक करने में न केवल प्रभावी है, बल्कि सुरक्षित भी है। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। कुपोषण के इलाज के लिए होम्योपैथी को अन्य पारंपरिक या प्रमाणित दवाओं के साथ लिया जा सकता है लेकिन, कोशिश करें कि कोई भी उपाय करने से पहले किसी योग्य चिकित्सक से सलाह जरूर लें।

संदर्भ

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  7. National Health Portal India. Centre for Health Informatics. National Institute of Health and Family Welfare: Ministry of Health and Family Welfare (MoHFW), Government of India; Malnutrition and Homeopathic Management
  8. Goda Sujata C., Ambekar Neena B., Tamboli Prashant, and Broker Devangini. Exploring the role of homeopathy in the management of malnutrition in children in the age group of 1 to 4 years: A pilot study. JISH. 2018 September;1(01):12-20.
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