ल्यूकोप्लाकिया उस स्थिति को कहते है, जिसमें जीभ की ऊपरी सतह पर मोटे और सफेद धब्बे बन जाते हैं। ये धब्बे मुंह की ऊपरी सतह पर जम जाते हैं। इस तरह के धब्बों का सबसे प्रमुख कारण धूम्रपान होता है। इसके अलावा मुंह में अन्य तरह के घर्षण भी ऐसी समस्याओं के कारण हो सकते हैं। हल्के-फुल्के धब्बे आमतौर पर खतरनाक नहीं होते हैं और ये जल्द ही खुद ठीक हो जाते हैं। लेकिन इसके गंभीर होने की स्थिति में यह ओरल कैंसर की वजह भी बन सकता है। इसलिए इन्हें अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। समय से इनके निदान के बारे में सोचना चाहिए। समय-समय पर दांत की जांच और उपचार कराने से इस स्थिति से बचा जा सकता है।

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  1. मुंह में सफेद दाने का घरेलू उपचार है ग्रीन टी - Leukoplakia ka gharelu upchar hai green tea in hindi
  2. मुंह में सफेद दाग का घरेलू उपाय है हल्दी - Leukoplakia ka gharelu upchar hai haldi in hindi
  3. मुंह के अंदर सफेद दाग का उपाय है विटामिन ए - Leukoplakia ka gharelu upchar hai vitamin a in hindi
  4. मुंह के सफेद दाग का उपाय है विटामिन ई - Leukoplakia ka gharelu upchar hai vitamin e in hindi
  5. मुंह के अंदर सफेद दानों का उपचार है लीकोपीन - Leukoplakia ka gharelu upchar hai Lycopene in hindi

ग्रीन टी का इस्तेमाल डिप्रेशन, नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज, वजन कम करने, उल्टी, डायरिया, सिरदर्द और पेट की समस्याओं में किया जाता है।

आवश्यक सामग्री:

इस्तेमाल का तरीका: 

इसका इस्तेमाल कुछ लोग ब्रैस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, कोलन कैंसर, गैस्ट्रिक कैंसर, फेफड़े का कैंसर, लीवर का कैंसर, सॉलिड ट्यूमर का कैंसर, ल्यूकेमिया और स्किन कैंसर जैसे विभिन्न तरह के कैंसर को ठीक करने में करते हैं। कुछ महिलाएं ग्रीन टी का इस्तेमाल ह्यूमन पपिलोमा वायरस (एचपीवी) के उपचार में भी करती हैं। ग्रीन टी का इस्तेमाल हृदय और ब्लड की नसों, डायबिटीज, लो ब्लड प्रेशर, क्रोनिक फेटीग सिंड्रोम (सीएफएस), डेंटल कैविटीकिडनी स्टोन और स्किन डैमेज जैसे मामलों में किया जाता है।

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कैसे काम करता है:
ग्रीन टी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा उसकी पत्तियों की कली, पत्तियां और शाखाएं होती हैं। ग्रीन टी का फर्मेन्टेशन नहीं किया जाता है। ग्रीन टी की पत्तियों को काफी ऊंचे ताप की भाप से गुजारा जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान, यह पॉलीफेनॉल्स नामक जरूरी मॉल्यूक्यूल्स बनाती है, जो ग्रीन टी के सबसे फायदेमंद तत्वों में से है।

(और पढ़ें - एंटीऑक्सीडेंट युक्त आहार)

खाने पकाने में इस्तेमाल होने वाली हल्दी कई अन्य कामों में इस्तेमाल होती है। यह अपनी शुद्धता और औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है। इसका इस्तेमाल हम कई तरह से दवाओं में करते हैं।

आवश्यक सामग्री:

इस्तेमाल का तरीका:

  • अब 50 ग्राम पीसी हुई हल्दी को 2 लौंग और अमरूद की पत्ती के साथ 200 ग्राम पानी में उबाल लें।
  • इस उबले हुए मिश्रण को कुछ देर ठंडा होने दें।
  • जब मिश्रण पर्याप्त ठंडा हो जाए तो उसे मुंह में लेकर कुल्ला करें।
  • ऐसा नियमित तौर पर करें।

इसके अलावा हल्दी का सेवन आप एक दूसरी विधि से भी कर सकते हैं:

आवश्यक सामग्री: 

  • हल्दी

इस्तेमाल का तरीका:

  • थोड़ी सी हल्दी लें।
  • उसे अच्छे से पीस लें।
  • अब इस हल्दी को अच्छे से भुनें।
  • इस हल्दी को उंगलियों से लेकर धब्बों पर लगाएं।

कैसे काम करता है:
हल्दी में एंटीसेप्टिक, एनाल्जेसिक (दर्द निवारक), एंटी-कैंसर, एंटी-माइक्रोबियल और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। यह घाव भरने के लिए भी औषधि का काम करती है। 

इसके अलावा अपनी सहूलियत के हिसाब से आप हल्दी के पाउडर में नमक और सरसों के तेल से पेस्ट बनाकर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। हल्दी को हम कई तरह से अपने रोज के खानपान में भी उपयोग कर सकते हैं। इस स्थिति में नियमित दांतों को अच्छे से साफ करें क्योंकि दांतों को अच्छे से साफ न करने से दांतों की ऊपरी सतह पर पीलेपन की शिकायत आ सकती है।

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विटामिन ए को हम घर पर फलों और सब्जियों के माध्यम से भी इस्तेमाल कर सकते हैं। हम विटामिन ए को गाजर, मछलीअंडेसंतरेब्रोकली, कद्दू और कंद के माध्यम से भी ले सकते हैं। विटामिन ए निम्नलिखित फलों और मांसाहार में पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।

आवश्यक सामग्री:

  • गाजर
  • मछली
  • अंडे
  • संतरे
  • ब्रोकली
  • कद्दू
  • कंद 

इस्तेमाल का तरीका:

  • इन सबको अच्छे से धो लें।
  • फलों को धोने के बाद खाएं।
  • जबकि मछली व अंडे को विधिवत पकाकर खाएं।

कैसे काम करता है:
विटामिन ए में रेटीनॉयड पाया जाता है। यह ज्यादातर स्किन और मेंब्रेन संक्रमण में प्रभावी होता है। इनमें ल्यूकोप्लाकिया भी शामिल है। इसीलिए हल्के या गंभीर ल्यूकोप्लाकिया के लिए विटामिन ए की गोलियों या सप्लीमेंट का उपयोग किया जाता रहा है। हम उपर्युक्त खाद्य पदार्थों के माध्यम से पर्याप्त मात्रा में विटामिन ए का सेवन कर सकते हैं।

(और पढ़ें - विटामिन ए की कमी के लक्षण)

विटामिन ई, बादाम, बादाम के तेल, एवोकाडो, मूंगफली, सफेद चने और सोयाबीन जैसे फलों में पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं।

आवश्यक सामग्री:

  • बादाम
  • बादाम के तेल
  • अवेकैडो
  • मूंगफली
  • सफेद चने
  • सोयाबीन

इस्तेमाल का तरीका:

  • इन सबको अच्छे से धो लें।
  • धोने के बाद इनका सेवन करें।

कैसे काम करता है:
विटामिन ई का इस्तेमाल आमतौर पर त्वचा पर किसी तरह के निशान को कम करने के लिए किया जाता है। ल्यूकोप्लाकिया के मामले में भी यह घाव व दाग को कम करने का काम करता है। हालांकि विटामिन ए की तरह विटामिन ई पूरी तरह से तो ल्यूकोप्लाकिया को ठीक करने का काम नहीं करता है, लेकिन यह दाग को कम करने का काम करती है।

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लीकोपीन एक तरह का प्राकृतिक पिगमेंट है जो पौधों और माइक्रोऑर्गनिज्म द्वारा तैयार किया जाता है। यह टमाटर, तरबूज, अमरूद, अंगूर, लाल मिर्च इत्यादि में भरपूर मात्रा में पाया जाता है।

आवश्यक सामग्री:

  • टमाटर
  • तरबूज
  • अमरूद
  • अंगूर
  • लाल मिर्च

इस्तेमाल का तरीका:

  • इन सबको अच्छे से धो लें।
  • सब्जियों को तरकारी या सब्जी बनाकर खाएं।
  • फलों को धोकर खाएं।

कैसे काम करता है:
मुंह के ल्यूकोप्लाकिया के घरेलू उपाय के लिए लीकोपीन एक अच्छा एंटीऑक्सीडेंट होता है। ये सेल्स को डैमेज होने से बचाता है।

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