शरीर में जिस स्थान पर दो हड्डियां आपस में मिलती हैं, उसे हड्डियों का जोड़ कहते हैं। जोड़ों में दर्द विभिन्न कारणों से हो सकता है। इसमें हड्डी की चोट जैसे फ्रैक्चर हड्डियों को प्रभावित करने वाले रोग जैसे गठिया, ऑस्टियोआर्थराइटिस, गाउट, सेप्टिक आर्थराइटिस और टेंडिनाइटिस, हड्डियों को प्रभावित करने वाली ऑटोइम्यून स्थिति जैसे ल्यूपस व रूमेटाइड आर्थराइटिस शामिल हैं। इसके अलावा हड्डियों पर जरूरत से ज्यादा जोर पड़ने या फैलाव के कारण मोच और खिंचाव से भी जोड़ों में दर्द की समस्या हो सकती है।

यह दर्द एक या एक से अधिक जोड़ों में हो सकता है। अक्सर यह किसी सूजन, कमजोरी, जोड़ों में लालिमा और चलने के दौरान असुविधा के साथ जुड़ा होता है।

जोड़ों के दर्द के लिए प्रमाणित उपचारों में नॉन-स्टेरायडल एंटी इंफ्लेमटरी ड्रग्स और एंटीबायोटिक शामिल हैं। जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए दवाओं के साथ फिजिकल थेरेपी की भी सलाह दी जाती है।

जोड़ों में दर्द के होम्योपैथिक उपचार का उद्देश्य सूजन और बेचैनी को कम करने के साथ स्थिति के अंतर्निहित कारणों का भी इलाज करना है। होम्योपैथिक डॉक्टर किसी उपाय को निर्धारित करने से पहले रोग के लक्षणों के साथ व्यक्ति की मानसिक, शारीरिक स्थिति और बीमारी की प्रवृत्ति पर भी विचार करते हैं। यही कारण है कि होम्योपैथिक उपचार एक जैसी बीमारी वाले व्यक्तियों में एक जैसा असर नहीं करता है।

यहां कुछ होम्योपैथिक उपचार के बारे में बताया जा रहा है, जो जोड़ों के दर्द के इलाज के लिए उपयोग में लाए जाते हैं - अर्निका मोंटाना, रस टॉक्सोडेन्ड्रॉन, ब्रायोनिया एल्बा, कैल्केरिया फॉस्फोरिका, लेडम पल्स्ट्रे, रूटा ग्रेवोलेंस, बेलाडोना, मर्क्यूरियस सॉलबिलिस और कोलकिकम औटुम्नाले।

  1. जोड़ों के दर्द (गठिया) के लिए होम्योपैथिक दवाएं - Jodo mein dard ke liye homeopathic dawa
  2. होम्योपैथी के अनुसार जोड़ों में दर्द के लिए आहार और जीवन शैली में बदलाव - Jodo mein dard ke liye khan pan aur jeevan shaili me badlav
  3. जोड़ों के दर्द (गठिया) के लिए होम्योपैथिक दवाएं और उपचार कितने प्रभावी हैं - Jodo mein dard ki homeopathic medicine kitni effective hain
  4. जोड़ों के दर्द (गठिया) के लिए होम्योपैथिक दवा के दुष्प्रभाव और जोखिम - Jodo mein dard ki homeopathic medicine ke nuksan
  5. जोड़ों के दर्द (गठिया) के होम्योपैथिक उपचार से संबंधित टिप्स - Jodo mein dard ke lliye homeopathic upchar se jude tips

अर्निका मोंटाना
सामान्य नाम :
लीपर्ड बेन
लक्षण : यह उपाय किसी जख्म या चोट के उपचार के लिए उपयुक्त है। यह उन रोगियों के लिए निर्धारित है, जो अपने शरीर में सामान्य दर्द को महसूस करते हैं। यह निम्नलिखित लक्षणों को ठीक करने में भी मदद करता है :

  • मोच
  • छाती की हड्डियों और कार्टिलेज में दर्द
  • पीठ के साथ-साथ हाथ और पैर में दर्द
  • जोड़ की हड्डी खिसक जाने जैसा अहसास
  • हाथों में ठंड लगना
  • गठिया (जोड़ों में दर्द और सूजन) जो शरीर के निचले हिस्से में शुरू होती है और ऊपर की ओर बढ़ती है
  • बाएं हाथ की कोहनी में तेज दर्द
  • पेड़ू में दर्द, जिसकी वजह से सीधे चलने में मुश्किल होती है

नम और ठंडे मौसम, आराम करने के बाद, प्रभावित हिस्से को छूने और शराब पीने पर लक्षण बदतर हो जाते हैं, जबकि रोगी अपने सिर को नीचे रखने और लेटने के बाद बेहतर महसूस करता है।

रस टॉक्सोडेन्ड्रॉन
सामान्य नाम :
पॉइजन-आइवी
लक्षण : यह टियरिंग पेन (मांसपेशियों के फटने जैसा महसूस होना) से राहत देता है। इस उपाय से लाभ पाने वाले व्यक्ति जोड़ों के दर्द के साथ-साथ जोड़ों में अकड़न का अनुभव करते हैं। पॉइजन-आइवी एक्यूट आर्थराइटिस और गाउट के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद करता है। यह निम्नलिखित लक्षणों से राहत देने में भी मदद करता है :

  • हड्डियों में सूजन
  • हाथ और पैर में लकवा जैसा महसूस होना व हाथ और उंगलियों में कमजोरी लगना
  • जोड़ों में दर्द और गर्मी लगना
  • अस्थि-बंधन में दर्द
  • चलने-फिरने से गले के पिछले भाग में दर्द, जो किसी गतिविधि के दौरान बढ़ सकता है
  • अत्यधिक थकान के बाद सुन्न होने की समस्या
  • साइटिका का दर्द जो रात में, ठंडे और नम मौसम में बदतर हो जाता है

यह लक्षण ठंडे और बरसात के मौसम में, रात के समय, सोते समय और दाहिनी ओर लेटने या पीठ के बल लेटने से खराब हो जाते हैं। जबकि शुष्क और गर्म मौसम में, स्ट्रेच करने के बाद लक्षणों में सुधार होता है।

ब्रायोनिया अल्बा
सामान्य नाम :
वाइल्ड हॉप्स
लक्षण : शारीरिक रूप से कमजोर लोगों में ब्रायोनिया अल्बा सबसे अच्छा काम करती है। यह टियरिंग और स्टिचिंग पेन से राहत दिलाती है, जो आराम करने के बाद बेहतर हो जाते हैं। यह उपाय श्लेष्म झिल्ली (विभिन्न अंगों के अंदरूनी परत) के अत्यधिक सूखने के लिए भी उपयुक्त है। यह विशेष रूप से उन रोगियों को दी जाती है जो आर्थराइटिस और एक्यूट आर्थराइटिस के कारण जोड़ों में दर्द का अनुभव करते हैं। यह निम्नलिखित लक्षणों के उपाय में भी कारगर है :

  • टियरिंग और स्टिचिंग पेन के साथ जोड़ों में लालिमा, सूजन और गर्मी लगना, लगातार अपने बाएं हाथ व पैर को हिलाना
  • घुटनों में अकड़न और दर्द
  • पीठ के निचले हिस्से में स्टिचिंग पेन और अकड़न
  • गर्मी और पैरों में सूजन
  • गर्दन के निचले हिस्से में अकड़न और दर्द

खाने के बाद, थोड़ा सा हिलने पर, प्रभावित हिस्से को छूने और गर्म वातावरण में लक्षण और भी बदतर हो जाते हैं। आराम करने के बाद और दर्द वाले हिस्से के बल लेटने के बाद सभी शिकायतों में सुधार होता है।

कैल्केरिया फॉस्फोरिका
सामान्य नाम :
फॉस्फेट ऑफ लाइम
लक्षण : कैल्केरिया फॉस्फोरिका उन बच्चों में सबसे अच्छा काम करता है, जो चिड़चिड़े और पाचन संबंधी समस्याएं से जूझ रहे होते हैं। यह निम्नलिखित लक्षणों को कम करने में मदद करता है :

  • सिर में सुस्ती व बार-बार होने वाला दर्द
  • हाथ पैर में सुन्न, दर्द और अकड़न की समस्या। यह लक्षण मौसम बदलने से खराब हो जाते हैं 
  • पीठ के निचले हिस्से में दर्द
  • ऐसा महसूस होना जैसे हाथ-पैर में कुछ रेंग रहा हो
  • सीढ़ियां चढ़ते वक्त थकान महसूस होना
  • नॉन-यूनियन फ्रैक्चर (फ्रैक्चर पर अधिक जोर पड़ने से होने वाली एक गंभीर स्थिति, जिसमें खून की आपूर्ति सही से नहीं होती है)

ठंड और नम स्थितियों में लक्षण बदतर हो जाते हैं, जबकि गर्म और शुष्क मौसम में इन लक्षणों में सुधार होता है।

लेडम पल्स्ट्रे 
सामान्य नाम :
मार्श-टी
लक्षण : मार्श-टी उन लोगों के लिए सबसे उपयुक्त है, जो शरीर व घावों में सामान्य ठंडक महसूस करते हैं। यह उपाय निम्नलिखित लक्षणों का इलाज करने में भी मदद करता है :

  • जोड़ों में दरारें, यह स्थिति बिस्तर पर लेटने से खराब हो जाती हैं
  • गाउट वाला दर्द, विशेष रूप से पैर और छोटे जोड़ों में
  • गठिया जो निचले अंगों में शुरू होकर शरीर के ऊपरी हिस्सों तक बढ़ता है
  • हाथ और पैरों में गर्मी लगना व सूजन
  • टखनों में सूजन, जिनमें आसानी से मोच आ जाती है
  • पैरों के तलवों में तेज दर्द
  • दाहिने कंधे में धमक महसूस होना

यह लक्षण रात के समय में बढ़ जाते हैं, जबकि ठंडे पानी और ठंडे मौसम में पैर धोने से इन लक्षणों में सुधार होता है।

रूटा ग्रेवोलेंस
सामान्य नाम :
रूई-बिटरवॉर्ट
लक्षण : रूई-बिटरवॉर्ट उन लोगों के लिए सबसे उपयुक्त है, जो बेहद कमजोर, सुस्त और पूरे शरीर में दर्द (जैसे चोट लगी हो) महसूस करते हैं। यह उपाय जोड़ों में जलन को कम करने में मदद करता है और निम्नलिखित लक्षणों के मामले में भी प्रभावी है :

  • हाथों व कलाई में दर्द और जकड़न, उंगलियों में कसाव महसूस होना
  • छूने पर दर्द होना
  • पैर और रीढ़ में चोट जैसी लगना
  • टखनों, पैरों की हड्डियों और कूल्हों में दर्द
  • अकिलिस टेंडन दर्द
  • पैरों में खिंचाव होने पर जांघ में दर्द
  • साइटिका, यह स्थिति रात में लेटने के बाद और खराब हो जाती है

ठंड, नम मौसम और लेटने से यह लक्षण बदतर हो जाते हैं।

मर्क्यूरियस सॉल्यूबिलिस
सामान्य नाम :
क्विकसिल्वर
लक्षण : यह उपाय उन लोगों के लिए निर्धारित है, जो अक्सर अपने शरीर में झटके महसूस करते हैं। यह लक्षण रात में और पसीने के बाद और खराब हो जाते हैं। यह उपाय हड्डियों में स्टिचिंग पेन को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों को प्रबंधित करने में भी मदद करता है :

  • जोड़ों में तेज दर्द
  • हाथों में कंपन के साथ कमजोरी
  • हड्डियों में दर्द, यह स्थिति रात में बदतर हो जाती है
  • टांग व पैर में सूजन
  • हरे रंग के बदबूदार अल्सर के साथ नाक की हड्डी में दर्द और सूजन
  • रात के समय पैरों में पसीना और ठंड लगना

नम वातावरण, रात में, दाहिनी ओर लेटने और वॉर्म अप्लाई (जैसे गर्म चीज से सिकाई) करने से यह लक्षण बदतर हो जाते हैं।

कोलकिकम औटुम्नाले
सामान्य नाम :
मीडो सैफ्रॉन
लक्षण : यह उपाय उन रोगियों के लिए निर्धारित है, जो शरीर के अंदर ठंड महसूस करते हैं। यह जोड़ों में कमजोरी के लिए एक बेहतरीन उपाय है। यह निम्नलिखित लक्षणों को भी कम करने में मदद करता है :

  • बुखार के साथ जोड़ों में अकड़न
  • गर्म मौसम में मांस फटने जैसा महसूस होना
  • बार बार होने वाले दर्द, यह स्थिति रात में बदतर हो जाती है
  • ठंड के मौसम में चुभन जैसा लगना
  • गाउट और बाईं एड़ी में सूजन
  • हाथों और पैरों में झुनझुनी के साथ कमजोरी लगना, यह स्थिति गर्म मौसम और शाम को बिगड़ती है
  • ऊपरी जांघ में दर्द
  • बाएं हाथ में तेज दर्द
  • पैरों और टांगों में सूजन व साथ में ठंड लगना
  • पैर में दर्द
  • चलने में कठिनाई

यह लक्षण शाम और सूर्योदय के समय, खाने की खुशबू आने के बाद बदतर हो जाते हैं और ऐसे में नींद आने में दिक्कत होती है। रोगी के आगे झुकने पर लक्षणों में सुधार होता है।

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होम्योपैथिक चिकित्सा के संस्थापक डॉ हैनीमैन ने जीवनशैली और आहार संबंधी कुछ ऐसे दिशा-निर्देश बताए हैं, जिनका पालन करने से होम्योपैथिक उपचार से सर्वोत्तम लाभ मिल सकता है :

क्या करना चाहिए :

  • जोड़ों में तेज दर्द के मामले में, उचित मात्रा में भोजन करें और अपनी सुविधा के अनुसार कमरे के तापमान को नियंत्रित करें।
  • यदि जोड़ों में दर्द की समस्या लंबे समय से है तो गर्म मौसम के दौरान लेनिन के कपड़े पहनें।
  • एक सक्रिय जीवन शैली का पालन करें और आसपास स्वच्छता बनाए रखें।

क्या नहीं करना चाहिए :

  • यदि जोड़ों में दर्द की समस्या लंबे समय से है तो मसाले, गंधयुक्त पानी और हर्बल टी का सेवन न करें। अधिक मीठा और मसालेदार भोजन खाने से बचें।
  • उन व्यंजनों को न खाएं, जिनमें औषधीय जड़ी-बूटियां हैं।
  • चूंकि, होम्योपैथिक उपचार प्राकृतिक पदार्थों से अत्यधिक घुलनशील रूप में तैयार किए जाते हैं, ऐसे में कोई भी बाहरी कारक इन दवाइयों के असर को प्रभावित कर सकता है।

होम्योपैथिक उपचार गठिया और ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी स्थितियों के उपचार में प्रभावी हैं, जो जोड़ों के दर्द का कारण बनते हैं। यदि इन दवाइयों को रोग की शुरुआत से लिया जाए तो परिणाम बेहतर होंगे, लेकिन बाद के चरणों में भी यह दवाइयां प्रभावी होती हैं।

2014 में, रूमेटॉइड आर्थराइटिस रोगियों के लिए रेट्रस्पेक्टिव स्टडी का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य होम्योपैथिक दवाओं की प्रभावकारिता का अध्ययन करना था। इस शोध में 10 ऐसे रोगियों को शामिल किया गया, जिन्हें सुबह के समय में दर्द और अकड़न की समस्या थी। उन्हें लगभग एक वर्ष तक संवैधानिक होम्योपैथिक दवाएं दी गईं। अध्ययन के परिणामों से यह निष्कर्ष निकाला गया कि संवैधानिक होम्योपैथिक उपचार जीवन की गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ सभी रोगियों में दर्द और अक्षमता को कम करने में प्रभावी साबित हुए हैं।

एक अन्य अध्ययन में, स्तन कैंसर से ग्रस्त ऐसी 40 महिलाओं में रुटा ग्रेवोलेंस 5CH और रस टॉक्सोडेन्ड्रॉन 9CH के संभावित प्रभावों का अध्ययन किया गया था, जो जोड़ों के दर्द और अकड़न की समस्या से जूझ रहे थे। एक समूह (20 महिलाओं) को होम्योपैथिक दवाएं दी गई, जिनमें रुटा ग्रेवोलेंस 5CH और रस टॉक्सोडेन्ड्रॉन 9CH शामिल हैं और दूसरे समूह (20 महिलाओं) को केवल मानक उपचार दिया गया। रूटा ग्रेवोलेंस 5CH और रस टॉक्सोडेंड्रोन 9CH केवल एक सप्ताह (लगभग पांच दाने, दो बार) के लिए दिया गया था। शोध शुरू करने के लगभग तीन महीने के बाद परिणाम नोट किए गए। निष्कर्षों से पता चला कि होम्योपैथिक उपचार जोड़ों के दर्द और अकड़न को कम करने में प्रभावी थे। हालांकि, यह सुझाव दिया गया कि परिणामों की पुष्टि के लिए और बड़े स्तर पर अध्ययन की जरूरत है।

होम्योपैथिक उपचार प्राकृतिक पदार्थों से अत्यधिक घुलनशील रूप में तैयार की जाती हैं और इनकी खुराक भी कम होती है। इसीलिए इन उपायों का साइड इफेक्ट या तो नहीं होता या फिर न्यूनतम होता है। हालांकि, एक योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक की देखरेख में खुराक लेने से इन दवाइयों का सर्वोत्तम लाभ उठाया जा सकता है।

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जोड़ों का दर्द फ्रैक्चर, मोच के कारण या गठिया जैसी अंतर्निहित स्थिति के कारण होता है। पारंपरिक या प्रमाणित रूप से एंटीबायोटिक दवाओं, एंटी इंफ्लेमटरी मेडिसिन (सूजन ठीक करने वाली दवाएं) और फिजिकल थेरेपी के जरिए इसका इलाज किया जाता है, जो रोगी द्वारा दिखाई गई स्थिति और लक्षणों के अंतर्निहित कारण पर निर्भर करता है।

जोड़ों मे दर्द के लिए होम्योपैथिक उपचार का उद्देश्य सिर्फ दर्द के लक्षणों को ठीक करना नहीं, बल्कि इसके अंतर्निहित कारणों को भी जड़ से खत्म करना है। जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए उपयोग किए जाने वाले होम्योपैथिक उपचार का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है, इसलिए इन्हें सुरक्षित विकल्प माना जाता है। ध्यान रखें, होम्योपैथिक दवा हमेशा किसी योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही लें।

संदर्भ

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  2. National Centre of Homeopathy. Arthritis. Mount Laural NI; [Internet]
  3. British Homeopathic Association. Muscle and joint problems. London; [Internet]
  4. Karp JC et al. Treatment with Ruta graveolens 5CH and Rhus toxicodendron 9CH may reduce joint pain and stiffness linked to aromatase inhibitors in women with early breast cancer: results of a pilot observational study.. Homeopathy. 2016 Nov;105(4):299-308. doi: 10.1016/j.homp.2016.05.004. PMID: 27914569
  5. William Boericke. Homoeopathic Materia Medica. Kessinger Publishing: Médi-T 1999, Volume 1
  6. Tapas K Kundu et al. To evaluate the role of homoeopathic medicines as add-on therapy in patients with rheumatoid arthritis on NSAIDs: A retrospective study. Year 2014 volume 8 issue 1 Page 24.30
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