डायबिटिक रेटिनोपैथी - Diabetic Retinopathy in Hindi

Dr. Anurag Shahi (AIIMS)MBBS,MD

March 17, 2021

December 18, 2023

डायबिटिक रेटिनोपैथी
डायबिटिक रेटिनोपैथी

डायबिटिक रेटिनोपैथी डायबिटीज के कारण होने वाला एक आंख संबंधी रोग है, जो मधुमेह के मरीजों में काफी आम होता है। डायबिटिक रेटिनोपैथी आमतौर पर उन लोगों को ही होता है, जो सालों से डायबिटीज से ग्रस्त हैं। यह आमतौर पर डायबिटीज के कारण रेटिना की रक्तवाहिकाएं क्षतिग्रस्त होने के परिणामस्वरूप होता है।

डायबिटिक रेटिनोपैथी के लक्षणों में धुंधला दिखना, दोहरा दिखना, रंगों की पहचान करने में कठिनाई या रात के समय देख ना पाना। इस रोग का परीक्षण आंखों के विशेषज्ञ डॉक्टर के द्वारा किया जाता है, इस दौरान वे आंखों की पलकों को उठाकर करीब से जांच करते हैं। इसके अलावा परीक्षण करने के लिए कुछ विशेष टेस्ट भी किए जा सकते हैं। 

ब्लड शुगर को सामान्य स्तर पर रख कर और नियमित रूप से स्वस्थ आहार लेकर डायबिटिक रेटिनोपैथी विकसित होने से रोकथाम की जा सकती है। इसके अलावा नियमित रूप से एक्सरसाइज करना और धूम्रपान छोड़ना भी डायबिटिक रेटिनोपैथी से बचाव करने के लिए बहुत आवश्यक है। 

डायबिटिक रेटिनोपैथी का इलाज करने के लिए कई उपचार प्रक्रियाएं शामिल हैं, जैसे इंजेक्शन की मदद से आंख में दवाई डालना, आंख से स्कार ऊतक और खून आदि निकालने के लिए “लेजर ओरान” ऑपरेशन करना। डायबिटिक रेटिनोपैथी को गंभीर स्टेज तक पहुंचने में आमतौर पर कई साल लग जाते हैं, जिसमें मरीज की दृष्टि चली जाने का खतरा बढ़ जाता है।

हालांकि यदि इस स्थिति का समय पर परीक्षण और इलाज ना किया जाए तो यह अंधेपन का कारण बन सकता है।

(और पढ़ें - डायबिटीज कम करने के घरेलू उपाय)

डायबिटिक रेटिनोपैथी क्या है - What is Diabetic Retinopathy

डायबिटिक रेटिनोपैथी डायबिटीज की जटिलता होती है। यह रोग रेटिना में मौजूद रक्तवाहिका क्षतिग्रस्त होने के कारण होता है। यह रक्तवाहिका आंख के पीछे स्थित प्रकाश के प्रति अतिसंवेदनशील ऊतकों की होती है। डायबिटिक रेटिनोपैथी रोग डायबिटीज से ग्रस्त लोगों में भी काफी आम बीमारी है।
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डायबिटिक रेटिनोपैथी के प्रकार - Types of Diabetic Retinopathy in Hindi

डायबिटिक रेटिनोपैथी के कितने प्रकार हैं?

  • नॉनप्रोलिफेरेटिव डायबिटिक रेटिनोपैथी (Non proliferative retinopathy):
    यह डायबिटिक रेटिनोपैथी का प्रारंभिक चरण होता है इसे “बाकग्राउंड रेटिनोपैथी” के नाम से भी जाना जाता है। इसे “नॉनप्रोलिफेरेटिव” इसलिए कहा जाता है, क्योंकि डायबिटिक रेटिनोपैथी के प्रारंभिक चरणों के दौरान आंख में नई रक्त वाहिकाएं नहीं बनती। इस प्रारंभिक चरण के दौरान क्षतिग्रस्त रक्त वाहिकाओं से खून लीक होने लग जाता है।
     
  • प्रोलिफेरेटिव डायबिटिक रेटिनोपैथी Proliferative retinopathy):
    इसे एडवांस रेटिनोपैथी भी कहा जाता है। यह रेटिनोपैथी का ऐसा चरण है, जिसमें रेटिना में नई रक्त वाहिकाएं विकसित होने लग जाती हैं। यह नई रक्त वाहिकाएं आमतौर पर असामान्य होती हैं और आंख के बीच में विकसित होती हैं।

(और पढ़ें - आँख आने का कारण)

डायबिटिक रेटिनोपैथी के लक्षण - Diabetic Retinopathy Symptoms in Hindi

डायबिटिक रेटिनोपैथी से क्या लक्षण होते हैं?

ज्यादातर मामलों में डायबिटिक रेटिनोपैथी के लक्षण आमतौर दोनों आंखों में विकसित होते हैं और इनमें आमतौर पर निम्न शामिल हो सकते हैं।

  • आसमान में तैरती हुई चीजें दिखाई देना (Floaters) या काले धब्बे दिखना
  • रात को देखने में कठिनाई होना
  • धुंधला दिखना
  • दोहरा दिखाई देना
  • आंख में दर्द होना
  • मोतियाबिंद होना
  • अंधापन या ठीक से देख ना पाना
  • दृष्टि कम ज्यादा होना (कभी ज्यादा दिखने लगना कभी कम)
  • रंगों की पहचान करने में कठिनाई होना, रंग फीके लगना

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

  • यदि आपको अपनी नजर या दृष्टि में किसी प्रकार का बदलाव महसूस हो रहा है या फिर धुंधला दिखाई देने लगा है, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। 
  • डायबिटीज की ध्यानपूर्वक देखभाल रखना और उसको कंट्रोल में रखना अंधापन से बचाव करने का सबसे अच्छा तरीका है। यदि आप डायबिटीज के मरीज हैं और आपको देखने संबंधी कोई समस्या नहीं है फिर भी आप साल में एक बार अपनी आंखों की जांच करवाते रहें।
  • गर्भावस्था में डायबिटिक रेटिनोपैथी की समस्या बदतर हो सकती है। यदि आप गर्भवती हैं, तो आपकी आंखों के डॉक्टर कुछ अतिरिक्त परीक्षण करवाने का सुझाव दे सकते हैं।

डायबिटिक रेटिनोपैथी के कारण - Diabetic Retinopathy Causes in Hindi

डायबिटिक रेटिनोपैथी क्यों होता है?

डायबिटिक मेलिटस (DM) के कारण ब्लड शुगर (ग्लूकोज) में असाधारण बदलाव आ जाते हैं। आमतौर पर ग्लूकोज का इस्तेमाल शरीर कई अलग-अलग कार्यों को करने के लिए ईंधन के रूप में करता है।

यदि डायबिटीज को ठीक से कंट्रोल नहीं किया जाता, तो ब्लड शुगर का बढ़ा हुआ स्तर रक्त वाहिकाओं में  एकत्रित हो जाता है, इस वजह से आंख समेत शरीर के अन्य कई अंगों में रक्त बहाव कम हो जाता है। इस वजह से आँखे क्षतिग्रस्त होने कर लगती हैं

लंबे समय तक खून में ब्लड शुगर का स्तर अधिक रहने के कारण भी डायबिटिक रेटिनोपैथी हो सकता है। क्योंकि खून में शुगर की अधिकता उन रक्तवाहिकाओं को क्षतिग्रस्त कर देती है, जो रेटिना में खून पहुंचाती हैं।

रेटिना एक प्रकार की झिल्ली (मेम्बरेन) होती है, जो आंख के पिछले हिस्से को ढक कर रखती है। यह रौशनी के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होती है।

यह आंख में आने वाली सभी रौशनी को एक सिग्नल में बदल देती है, जो मस्तिष्क में जाता है। इस प्रक्रिया से तस्वीरें बनती हैं और इस तरह से मानव आंख देख पाती है।

डायबिटिक रेटिनोपैथी रेटिना के ऊतकों में भी रक्त वाहिकाओं को क्षतिग्रस्त कर देती है। इसके कारण द्रव का रिसाव होने लग जाता है और दृष्टि खराब हो जाती है।

उसके बाद यह रेटिना से ऑक्सीजन कम कर देता है और असामान्य रक्त वाहिकाएं विकसित होने लग जाती हैं। यदि डायबिटीज को अच्छे से कंट्रोल किया जाए तो डायबिटिक रेटिनोपैथी के जोखिम को कम किया जा सकता है।

डायबिटिक रेटिनोपैथी होने का खतरा कब बढ़ता है?

डायबिटीज से ग्रस्त किसी भी व्यक्ति को डायबिटिक रेटीनोपैथी हो सकता है। आंख संबंधी इस समस्या के विकसित होने का खतरा निम्न स्थितियों के परिणामस्वरूप भी बढ़ सकता है:

  • लंबे समय से डायबिटीज रहना, जितने अधिक समय तक आपको डायबिटीज होगा डायबिटिक रेटिनोपैथी होने का खतरा उतना ही अधिक बढ़ जाता है।
  • गर्भावस्था
  • तम्बाकू चबाना
  • वृद्धावस्था
  • ब्लड शुगर के लेवल को ठीक से कंट्रोल ना कर पाना
  • हाई बीपी (हाई ब्लड प्रेशर भी डायबिटिक रेटिनोपैथी का एक जोखिम कारक हो सकता है)
  • हाई कोलेस्ट्रॉल

डायबिटिक रेटिनोपैथी की गंभीरता निम्न स्थितियों पर निर्भर करती है:

  • डायबिटीज की अवधि
  • ब्लड शुगर का स्तर
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डायबिटिक रेटिनोपैथी से बचाव - Prevention of Diabetic Retinopathy in Hindi

डायबिटिक रेटिनोपैथी की रोकथाम कैसे करें?

लगातार लंबे समय तक ब्लड शुगर को सामान्य स्तर पर रखने से डायबिटिक रेटिनोपैथी होने से बचाव किया जा सकता है और इसके जोखिम कारकों को भी कम किया जा सकता है।

कुछ सावधानियां बरत कर डायबिटिक रेटिनोपैथी विकसित होने के जोखिम कारकों को कम किया जा सकता है, जैसे:

  • साल में एक बार डायलेटेड आई इग्जामिनेशन (आंख की करीब से जांच) 
  • स्वस्थ व संतुलित भोजन खाना, जैसे भोजन में से नमकफैट और मीठा कम करना
  • नियमित रूप से अपने ब्लड प्रेशर व कोलेस्ट्रोल की जांच करवाते रहना
  • आहार, इनसुलिन, दवाओं व एक्सरसाइज की मदद लेकर डायबिटीज का विशेष रूप से ध्यान रखना
  • नियमित रूप से ब्लड शुगर की जांच करते रहना
  • डॉक्टर से ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन टेस्ट के बारे में बात करना। ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन टेस्ट या हीमोग्लोबिन ए1सी टेस्ट आपके ब्लड शुगर स्तर की पिछले कुछ महीने की औसत दर्शाता है। ज्यादातर लोगों के लिए, ए1सी टेस्ट का लक्ष्य 7 प्रतिशत से कम होना होता है।
  • केटोन के स्तर के लिए नियमित रूप से पेशाब टेस्ट करना
  • शराब छोड़ना
  • डॉक्टर की सलाह के अनुसार हाई बीपी को कम करने के लिए उपाय करना
  • यदि दृष्टि संबंधी किसी प्रकार का बदलाव महसूस हो रहा है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर की सलाह ले लेनी चाहिए।

डायबिटिक रेटिनोपैथी का परीक्षण - Diagnosis of Diabetic Retinopathy in Hindi

डायबिटिक रेटिनोपैथी का परीक्षण कैसे किया जाता है?

डायबिटिक रेटिनोपैथी का पता लगाने का सबसे अच्छा तरीका “कॉम्प्रिहेंसिव डायलेटेड आई इग्जाम” होता है। इस परीक्षण के दौरान आंखों की पलकों को चौड़ी करके उसमें किसी विशेष दवा की बूंद डाली जाती है, जिसकी मदद से आंख की पुतली को चौड़ा करके आंख के अंदर अच्छे से देखा जाता है। आंखों में डाली जाने वाली दवा के कारण कुछ समय तक आंख में धुंधलापन रहता है, इस दवा का असर आमतौर पर कुछ घंटे रहता है।

परीक्षण के दौरान डायबिटिक रेटिनोपैथी व आंख संबंधी रोगों के अन्य संकेतों का पता भी लगा सकते हैं। यदि रेटिना में किसी प्रकार की क्षति हो गई है, तो उससे निम्न संकेत देखे जा सकते हैं:

  • सूजन
  • आंख में कचरा आदि जमा होना
  • रक्त वाहिकाओं से खून या अन्य द्रव का रिसाव होने के सबूत मिलना

डॉक्टर रेटिना की तस्वीर लेने और आंख में डायबिटीज से संबंधी क्षति का पता लगाने के लिए टेस्ट करने वाले कुछ विशेष उपकरण या कैमरा आदि इस्तेमाल कर सकते हैं। कुछ मामलों में डॉक्टर आपको रेटिना के विशेषज्ञ डॉक्टर के पास भी भेज सकते हैं, ताकि कुछ अतिरिक्त जांच की जा सकें। 

आंख का टेस्ट

फ्लोरेसिन एंजियोग्राफी

आंख को चौड़ा करके डॉक्टर आपकी आंख के अंदरूनी हिस्से की तस्वीरें लेते हैं। उसके बाद इंजेक्शन की मदद से बांह की एक नस में एक विशेष प्रकार की डाई डाली जाती है और फिर से आंख की तस्वीरें ली जाती हैं। यह एक विशेष प्रकार की डाई होती है जो आँख की सभी नसों में फैल जाती है और टेस्ट की तस्वीरें में अलग से दिखाई देती है। इस डाई की मदद से यह पता लगा लिया जाता कि कहीं आंख में कोई रक्तवाहिका, रुकी हुई या क्षतिग्रस्त तो नहीं हुई है।

ऑप्टिकल कोहरेन्स टोमोग्राफी (OCT)

डॉक्टर आपको ओसीटी टेस्ट करवाने का सुझाव भी दे सकते हैं। यह एक प्रकार का इमेजिंग टेस्ट होता है, जो रेटिना की अलग-अलग दिशाओं से तस्वीरें ले लेता है, जिससे रेटिना की मोटाई आदि का पता लग जाता है। यदि रेटिना के ऊतकों में खून या द्रव आदि का रिसाव हो गया है, तो इस परीक्षण की मदद से पता लगाया जा सकता है। बाद में ओसीटी परीक्षण का उपयोग यह पता लगाने के लिए भी किया जा सकता है कि उपचार अच्छे से काम कर पा रहा है या नहीं।

कभी-कभी अनदेखा किए गए आंख संबंधी रोगों में न्यूरोपैथी (आंख क्षतिग्रस्त होना) होता है। न्यूरोपैथी के कारण आंख की व नस क्षतिग्रस्त हो जाती है, जो आंख को हिलने-ढुलाने का काम करती है। इसके लक्षणों में आंख अपने आप हिलना और दोहरा दिखाई देना आदि शामिल है। इसके लिए डॉक्टर निम्न टेस्ट कर सकते हैं: 

  • दृष्टि की जांच करना
  • ग्लूकोमा आदि का जांच करने के लिए आंख के अंदर के दबाव की जांच करना
  • आंख में मोतियाबिंद के संकेतों की जांच करना

डायबिटिक रेटिनोपैथी का इलाज - Diabetic Retinopathy Treatment in Hindi

डायबिटिक रेटिनोपैथी का इलाज कैसे किया जाता है?

डायबिटिक रेटिनोपैथी का इलाज इस रोग की स्टेज के अनुसार किया जाता है। डायबिटिक रेटिनोपैथी के लिए किए गए किसी भी प्रकार का इलाज का मुख्य लक्ष्य लगातार बढ़ रहे रोग को रोकना या कम करना होता है।

डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए मरीज को डॉक्टर की मदद लेनी पड़ती है। यदि ब्लड शुगर के स्तर को अच्छे से कंट्रोल किया जाए तो यह डायबिटिक रेटिनोपैथी को काफी हद तक कम कर देता है।

  • एंटी-वैस्कुलर एंडोथिलियल ग्रोथ फैक्टर (anti-VEGF) दवाएं रेटिना में बनने वाली द्रव को कम कर सकती हैं। ये दवाएं रेटिना में असामान्य रूप से विकसित हो रही नई रक्तवाहिकाओं को भी रोक देती हैं। उदाहरण के तौर पर इन दवाओं में रेनीबिजमब (Ranibizumab) और एफ्लीबर्सेप्ट (Aflibercept) आदि शामिल हैं। इन दवाओं का इंजेक्शन लगाने के लिए आंख के आस-पास के क्षेत्र को सुन्न कर दिया जाता है और बहुत ही पतली सुई का इस्तेमाल किया जाता है। यह इंजेक्शन दृष्टि में सुधार करता है और भविष्य में होने वाली दृष्टि संबंधी समस्याओं से बचाव करता है।
  • इस स्थिति का इलाज करने के लिए कोर्टिकोस्टेरॉयड दवाओं का इंजेक्शन भी लगाया जा सकता है।
  • फेनोफाइब्रेट दवा का उपयोग हाई कोलेस्ट्रोल को कम करने के लिए किया जाता है। ये दवाएं टाइप 2 मधुमेह से ग्रस्त लोगों में डायबिटिक रेटिनोपैथी होने से बचाव करती है। इन दवाओं को टेबलेट के रूप में लिया जाता है।

जब डायबिटिक रेटिनोपैथी उच्च स्टेज में पहुंच जाता है, तो इसके लिए विशिष्ट उपचार की आवश्यकता पड़ती है। इन चरणों में मरीज की दृष्टि चली जाने का खतरा भी बढ़ जाता है।

यदि डायबिटिक रेटिनोपैथी देखने की क्षमता को प्रभावित कर रही है या इसके कारण दृष्टि संबंधी अन्य जोखिम हो गए हैं, तो इस स्थिति में इसके लिए मुख्य इलाज निम्नन हो सकते हैं:

  • लेजर ट्रीटमेंट:
    प्रोलिफेरेटिव डायबिटिक रेटिनोपैथी के मामलों में आंख के पिछले हिस्से (रेटिना) में असामान्य रूप से विकसित हो रही रक्तवाहिकाओं का इलाज करने के लिए लेजर प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जा सकता है। रक्त वाहिकाएं रुकना या लीक होने जैसी समस्याओं का इलाज करने के लिए लेजर ट्रीटमेंट काफी प्रभावी साबित हुआ है। लेकिन यह सर्जिकल प्रक्रिया कितनी सफल है यह इस बात पर निर्भर करता है कि रक्त वाहिकाएं कितने समय से रुकी हुई या लीक हो रही हैं।
     
  • आंखों की सर्जरी:
    लेजर ट्रीटमेंट की मदद से आंख के अंदर से खून या स्कार ऊतक नहीं निकल पाते हैं, क्योंकि रेटिनोपैथी अधिक गंभीर स्टेज में पहुंच जाती है।

सर्जरी की मदद से डायबिटिक रेटिनोपैथी का पूरी तरह से इलाज नहीं किया जा सकता है। हालांकि इसकी मदद से इसके लक्षणों को रोका या कम किया जा सकता है। डायबिटीज एक दीर्घकालिक रोग है और इलाज चलने के बावजूद भी, इसमें रेटिना संबंधी क्षति व दृष्टि संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

डायबिटिक रेटिनोपैथी के जोखिम और जटिलताएं - Diabetic Retinopathy Risks & Complications in Hindi

डायबिटिक रेटिनोपैथी से क्या जटिलताएं हो सकती हैं?

डायबिटिक रेटिनोपैथी के कारण दृष्टि संबंधी समस्याएं और यहां तक कि अंधापन भी हो सकता है। ज्यादातर मामलों में यह कई सालों के भीतर गंभीर रूप धारण कर लेता है।

डायबिटिक रेटिनोपैथी से संबंधित कुछ संभावित जटिलताओं में निम्न शामिल हैं, जैसे 

  • ग्लूकोमा:
    जैसे ही रेटिना में नई रक्त वाहिकाएं बनने लगती हैं, तो आंख के अंदर द्रव का बहाव रुक जाता है। द्रव का बहाव रुक जाने के कारण आंख के अंदर का दबाव बढ़ जाता है, जिससे आंख की नसें क्षतिग्रस्त होने और अंधापन होने आदि का खतरा बढ़ जाता है।
     
  • विटरियस हेमरेज:
    एक नई विकसित हुई रक्त वाहिका आंख में भरे विटरियस जेल में लीक होने लगती है, जो रेटिना में सीधे रौशनी का प्रवेश होने से रोकता है। इसके कम गंभीर मामलों में होने वाले लक्षणों में मुख्य से रौशनी के प्रति अति संवेदनशीलता होना और देख ना पाना (अंधापन) और फ्लोटर्स (आकाश में तैरती हुई धुंधली चीजें दिखना) आदि शामिल हैं। यदि डायबिटिक रेटिनोपैथी के कारण रेटिना क्षतिग्रस्त नहीं हो पाया है, तो इससे ये जटिलताएं अपने आप ठीक हो जाती हैं।
     
  • डिटैच्ड रेटिना:
    स्कार ऊतक रेटिना का आंख के पिछले हिस्से खींच कर अलग कर देता है। आमतौर पर इसके कारण आकाश में तैरती हुई बिंदु व धब्बे दिखाई देना, रौशनी की चमक दिखाई देना और गंभीर रूप से नजर कम होना आदि शामिल है। यदि इसका बिना इलाज किए छोड़ दिया जाए तो इससे अन्य कई जोखिम पैदा हो सकते हैं।


डायबिटिक रेटिनोपैथी की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Diabetic Retinopathy in Hindi

डायबिटिक रेटिनोपैथी के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।