कोविड-19 से बीमार पड़े बच्चों में डायरिया और उल्टी जैसी समस्याएं बतौर असामान्य लक्षण देखने को मिल रही हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान (पीजीआईएमईआर) चंडीगढ़ के शोधकर्ताओं के एक समूह ने दुनियाभर में कोरोना वायरस की चपेट में आए 4,800 से अधिक बच्चों के वायरल संक्रमण से जुड़े क्लिनिकल मैनिफेस्टेशन की दो दर्जन से ज्यादा रिपोर्टों का विश्लेषण करने के बाद बतौर निष्कर्ष यह बात कही है। एम्स और पीजीआईएमईआर के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया यह शोध इंडियन पेडियाट्रिक्स पत्रिका में प्रकाशित हो चुकी है।

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शोधकर्ताओं ने कहा है कि कोरोना वायरस से संक्रमित बच्चों में कोविड-19 के सामान्य लक्षण (बुखार और खांसी) भी दिखते हैं, लेकिन इसकी संभावना वयस्क मरीजों के मुकाबले कम है। उन्होंने बताया है कि जहां कोविड-19 के 60 से 100 प्रतिशत वयस्क मरीजों में खांसी और बुखार जैसे लक्षण दिखते हैं, वहीं कोरोना संक्रमित बच्चों में यह दर 40 से 60 प्रतिशत है। वहीं, एक-चौथाई संक्रमित बच्चों में बीमारी के सामान्य लक्षण दिखते ही नहीं। 

इसके अलावा, शोध में यह तथ्य फिर सामने आया कि कोविड-19 से पीड़ित कुछ ही बच्चों की हालत गंभीर होती है और केवल एक प्रतिशत बाल मरीजों में श्वसन तंत्र की गंभीर बीमारी एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम, रेस्पिरेटरी फेलियर (फेफड़े खराब होना) आदि के लक्षण दिखाई देते हैं। डॉक्टरों ने साफ कहा है कि ज्यादातर बच्चे इस बीमारी से तेजी से उबर जाते हैं, बिना अस्पताल में भर्ती हुए। लेकिन उनमें दिखने वाले लक्षण वयस्कों से अलग हो सकते हैं।

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शोध में सामने आए परिणामों के मुताबिक, 80 प्रतिशत से अधिक वयस्क कोरोना मरीजों की पहचान बुखार और खांसी जैसे लक्षणों से हो जाती है। लेकिन बच्चों के मामले में ये लक्षण 40 से प्रतिशत केसों में ही कोविड-19 होने के संकेत के रूप में सामने आते हैं। ऐसे में डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों की स्क्रीनिंग यानी जांच किए जाते समय श्वसन संबंधी समस्याओं के अलावा आंतों से जुड़े लक्षणों पर भी गौर किया जाना चाहिए।

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलिएरी साइंसेज के निदेशक डॉ. एसके सरीन बताते हैं, 'शरीर में प्रवेश करने के बाद नया कोरोना वायरस गले में घुसता है। वहां से निचले श्वसन मार्ग की तरफ जा सकता है या खुद को आंतों की कोशिकाओं या पित्त वाहिनी से चिपका कर अपनी कॉपियां बनाना शुरू कर सकता है। यही कारण है कि (बच्चों से जुड़े) कई मामलों में वायरस डायरिया और उल्टी की वजह बन रहा है।'

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वैज्ञानिक शोधों में यह जानकारी भी सामने आई है कि सार्स-सीओवी-2 वायरस मल के जरिये भी फैल सकता है। ऐसे में डॉ. सरीन और कई अन्य मेडिकल विशेषज्ञों की यह राय है कि लोगों को टॉयलेट के कवर को नीचे करने के बाद फ्लश का बटन दबाना चाहिए।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: कोरोना वायरस से संक्रमित बच्चों में डायरिया और उल्टी जैसे असामान्य लक्षण दिखे, एम्स-पीजीआईएमईआर के शोधकर्ताओं की रिपोर्ट है

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